वरिष्ठ साहित्यकार, संपादक एवं शिक्षाविद् विनोद कुमार जी से साक्षात्कार

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पिछले दिनों Buuks2Read टीम ने वरिष्ठ साहित्यकार, संपादक एवं शिक्षाविद् विनोद कुमार जी से एक साक्षात्कार किया है। विनोद जी की दो पुस्तकें ‘टोकरी वाली लड़की‘ और ‘नि:शब्द‘ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुआ है। इससे पूर्व भी विनोद जी की दो पुस्तकें ‘जीवन पथ’ एवं ‘वो फिर आ गई’ प्रकाशित हो चुकीं है। Buuks2Read के साथ साक्षात्कार के दौरान लेखक विनोद कुमार जी ने बहुत सारी जानकारी प्रदान की और हमें उनकी साहित्यिक यात्रा को विस्तार से जानने का अवसर मिला। आशा करते हैं कि हमारे पाठकों को विनोद जी के साथ किया गया साक्षात्कार पसंद आएगा। पेश हैं आपके लिए साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश-

वरिष्ठ साहित्यकार, संपादक एवं शिक्षाविद् विनोद कुमार जी से साक्षात्कार

Buuks2Read : विनोद जी, नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?

विनोद कुमार : जी हां, इसके लिए मैं सर्व प्रथम प्राची डिजिटल पब्लिकेशन उत्तराखंड को धन्यवाद देता हूं, जिसने मुझे साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया। मैं फिलहाल बिहार के कटिहार जिला अन्तर्गत मनिहारी प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर पदस्थापित हूं। मेरा जन्म स्थान मानिकपुर, अंचल सिमरी, जिला – बक्सर, बिहार में पड़ता है। बिहार सरकार द्वारा 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य हेतु मुझे राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त हुआ है। रही बात साहित्य के क्षेत्र से, मैं छात्र जीवन से ही कविता, कहानी एवं नाटक लिखता आया हूँ। मेरी पहली रचना ‘नीता कपूर’ नाटक है, जिसे मैंने जब नवम् वर्ग में पढ़ता था, उस समय इसे लिखा था।

Buuks2Read : आपकी पुस्तक ‘टोकरी वाली लड़की और नि:शब्द’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

विनोद कुमार : जी हां, पिछले दिनों मेरी दो पुस्तकें ‘टोकरी वाली लड़की’ कहानी संग्रह एवं ‘नि: शब्द’ काव्य संग्रह का प्रकाशन प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से प्रकाशित हुआ है। ‘टोकरी वाली लड़की’ कहानी संग्रह में जितनी भी कहानियां लिखी गई है, सभी देश, पर्यावरण, सामाजिक कुरीतियों, एवं जीवंत समस्याओं पर आधारित है, कुल 45 कहानियां इस संग्रह में है, मुझे पूरी उम्मीद है, पाठकगण जरूर पसंद करेंगे। अछूत नामक कोरोना पर आधारित मार्मिक अनेक कहानियां इस संग्रह में है। ‘नि:शब्द’ काव्य संग्रह में मानवीय मूल्यों पर आधारित अधिकांश कविताएं है, पाठक गण को जरूर हमारी कविताएं पसंद आयेगी।

Buuks2Read : विनोद जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?

विनोद कुमार : इसके पहले मधुराक्षर प्रकाशन फतेहपुर उत्तर प्रदेश से मेरी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थी। ‘जीवन पथ’ एवं ‘वो फिर आ गई’, ये दोनों पुस्तकें कोरोना जंग नायकों एवं महानायकों को समर्पित है, जिसने कल्याणार्थ अपना जीवन अर्पण कर दिया। उड़ान एवं मातृछाया सांझा संकलन, जिसका प्रकाशन प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से हुआ है, उस सांझा संकलन से जुड़ने के बाद इन दोनों पुस्तकों के प्रकाशन का मन प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से कराने का मन बनाया।

Buuks2Read : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?

विनोद कुमार : मैं ‌प्राची डिजिटल पब्लिकेशन को धन्यवाद देता हूं, जिसने कम समय में मेरी दोनों पुस्तकों का प्रकाशन किया। पेपर की गुणवत्ता, बाइंडिंग अन्य प्रकाशनों से बेहतर पायी गई, जिसकी प्रशंसा हमारे अनेक साथियों ने किया।

Buuks2Read : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?

विनोद कुमार : देखिए, मेरी पहली रचना ‘नीता कपूर’ नाटक है। ये नाटक मैं उस समय लिखा था, जब नवम् वर्ग का छात्र था। इस नाटक का मंचन भी बड़काराजपुर गांव में आदरणीय शिक्षक नथुनी राम के निर्देशन में हुआ था। मैंने दर्जनों नाटक लिखे, जैसे उग्रवादी, भारत बचाओ, खतरनाक रोग, सत्य हरिश्चन्द्र, जिनका निर्देशन भी करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ, लेकिन कोरोना काल में मैं नाटक लिखना छोड़कर साहित्य के क्षेत्र में जोश खरोश के साथ पादुर्भाव किया एवं कम समय दो काव्य संकलन का प्रकाशन कराये।

Buuks2Read : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?

विनोद कुमार : ‘जीवन पथ’ मेरा पहला काव्य संकलन है, जिसमें अनेक कविताएं मानव के जीवन मूल्यों पर आधारित है, इसके बाद ‘टोकरी वाली लड़की’ ‌को ज्यादा लोग पसंद कर रहे हैं।

Buuks2Read : विनोद जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

विनोद कुमार : मैंने किसी से सहयोग नहीं लिया, लेकिन मैं डॉ. शैलेश शुक्ला जी को दिल से बधाई दूंगा, जिन्होंने कोरोना काल में जब हम घरों में कैद थे, मेरी रचनाओं को जगह दी। मैं डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री जी‌ को भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मेरी पहली पुस्तक का प्रकाशन अपनी देखरेख में कराया।

Buuks2Read : विनोद जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

विनोद कुमार : हम तो अभी कदम ही आगे बढ़ाएं है, दर्ज़नो प्रशस्ति पत्र, साहित्य के क्षेत्र में प्राप्त हो चुके हैं। भारतीय साहित्य रत्न सम्मान हेतु मेरे नाम की घोषणा हो चुकी है।

Buuks2Read : विनोद जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?

विनोद कुमार : मैं कविता, कहानी दोनों विद्या में लेखन करता हूँ। मेरे लिए दोनों विधा में लेखन आसान लगता है।

Buuks2Read : विनोद जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

विनोद कुमार : देखिए, मैं एक शिक्षक हूं, सबसे पहला मेरा कर्तव्य बच्चों को शिक्षा देना होता है। मैं अक्सर लेखन कार्य हेतु रात में समय निकालता हूं। अवकाश ‌के दिनों में लेखन ज्यादा करता हूं।

Buuks2Read : विनोद जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

विनोद कुमार : शिक्षक होने के नाते पुस्तकें पढ़ना, नोट्स तैयार करना, पाठ्य योजना बनाना, ये दैनिक कार्य है, रही बात प्रेरणा की, पुस्तकें ही मेरी प्रेरणा की कुंजी है।

Buuks2Read : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

विनोद कुमार : काम के बदौलत जब कोई पारितोषिक प्राप्त होती है। मैं उसे ही सबसे यादगार क्षण मानता हूं। बिहार सरकार द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर 2020 में राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त करना, जीवन की मुख्य यादगार ‌पल हमारे लिए है।

Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

विनोद कुमार : रामाधारी सिंह दिनकर, बाबा नागार्जुन।

Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

विनोद कुमार : हिन्दी हमारे दिलों दिमाग में बैठी हुई है। हिन्दी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक भाषा है। यह पूरे भारत को जोड़ने का काम करती है। इसे हम देश की आत्मा भी कहते हैं। जरूरी हम इसका सम्मान करें। हिन्दी साहित्य को ऊंचे शिखर पर पहुचाएं।

Buuks2Read : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

विनोद कुमार : नाटक, गीत संगीत।

Buuks2Read : विनोद जी, क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?

विनोद कुमार : जी हाँ, मेरी तीन पुस्तकें मार्च-अप्रैल में प्रकाशित होगी, जिसमें दो कहानी संकलन एवं एक काव्य संकलन। भारतनामा, जिसका संपादक भी मैं हूं, प्रकाशन में भेजने की तैयारी अंतिम चरण में है।

Buuks2Read : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

विनोद कुमार : सलाह मेरी सभी लेखकों से होगी, हम राष्ट्रवाद के रास्ते पर चलें, अपनी रचनाओं से युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनानें। देशप्रेम की राह दिखावें। अनेकता में एकता का संदेश ‌हम अपनी लेखनी के माध्यम से पूरी दुनिया को दें। यही हम संदेश लेखकों को देना चाहते हैं।

Buuks2Read : विनोद जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

विनोद कुमार : मैं अपने अज़ीज़ शुभ चिंतकों एवं पाठकों को यही संदेश अपने साक्षात्कार के माध्यम से देना चाहते हैं, पुस्तकें जरूर पढ़ें,अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें। राष्ट्र का ख्याल लेकिन जरूर करें। पहले राष्ट्र है, इसके बाद हम है।
जय साहित्य, जय भारत !

लेखक विनाेद कुमार जी की पुस्तकें-

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Nagesh S Shewalkar
Nagesh S Shewalkar
January 30, 2022 10:41 AM

विनोद जी,
नमस्कार।
आपको बहुत बहुत बधाई।
आपने इस साक्षात्कार के माध्यम से सभी से उपयुक्त मार्गदर्शन किया! बहुत बहुत शुभकामनाएं।