About the Book
जीवन मूल्यों के सतत आरोह-अवरोह, दोहरे मापदंड, समय की विद्रूपताएँ, प्रकृति के प्रति उदासीनता और समाज की दिखावटी सोच ने मेरे भीतर पनपती कविता को शब्दों का ताना-बाना बुनने के लिये भावभूमि तैयार की। कविता में लोक-संस्कृति, आँचलिकता के सांस्कृतिक आयाम, समसामयिक घटनाएँ, पर्यावरण के समक्ष उत्पन्न ख़तरे, जीवन-दर्शन, सौंदर्यबोध के साथ भावबोध, वैचारिक विमर्श को केन्द्र में रखते हुए संवेदना को समाहित कर कविता बनीं। जिसके फलस्वरूप मेरा पहला काव्य-संग्रह ‘एहसास के गुँचे’ सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ प्रेम, जीवन-दर्शन, नारी-विमर्श, देशप्रेम और प्रकृति पर मेरे चिंतन के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है। आशा है संग्रह की कविताएं आपके मर्म को छूने का प्रयास करेगी। ‘एहसास के गुंचे’ काव्य-संग्रह आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है।
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Book Information’s | |
Author | Anita Saini |
ISBN | 978-93-87856-14-1 (Paperback) 978-93-87856-13-4 (Hardcover) |
Language | Hindi |
Pages | 180 |
Binding | Paperback / Hardbound |
Genre | Poetry |
Publish On | March, 2020 |
Publisher |
About the Author
लेखिका अनीता सैनी जी का जनम झुंझनू राजस्थान में कृषक परिवार में हुआ है। आपको राजस्थानी लोक संस्कृति से विशेष लगाव है। बचपन से ही लेखन के प्रति रुझान रहा है, जो बाद में डायरी लेखन के रूप में चलता रहा। डायरी लेखन से निकलकर अनीता जी पिछले लगभग दो वर्ष से ब्लॉग ‘गूँगी गुड़िया’ के ज़रिये रचनात्मक लेखन में लगातार सक्रिय हैं।