कोरोना ने पूरे विश्व को अपने जाल में जकड़ा हुआ है। जिससे हमारा देश भी अछूता नहीं है, जिसका नकारात्मक प्रभाव देश के प्रत्येक वर्ग पर पड़ा और जो अब भी जारी है। कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मार्च में लॉकडाउन का फैसला किया था, जो अब धीरे-धीरे खुल रहा है। लॉकडाउन के दौरान एक तबका जिसे मजदूर के नाम से जाना जाता है, जिनके मजबूत कंधे देश को मजबूत बनाते है, जिनका कठोर परिश्रम किसी फैक्ट्री, बिल्डिंग को बनाने में अपना सहयोग देते हैं, उन्हें लॉकडाउन के कारण अपने गांवों को लौटना पड़ा था।
ऐसे में उनकी मनोदशा और पीड़ा को श्रमिक की व्यथा काव्य संग्रह में शामिल सम्मानित कवियों ने अपनी कलम से पाठकों के सामने रखने का बहुत सुन्दर प्रयास किया है। ताकि आप भी मजदूर कहे जाने वाले देश के मजबूत कंधे लिए श्रमिकों की मनाेदशा और पीड़ा को सम्मानित कवियों के रचनाओं में महसूस कर सकें।
Book Information’s | |
Author | Indian Author’s |
ISBN | 978-9387856226 |
Language | Hindi |
Pages | 66 |
Binding | E-Book |
Genre | Poetry |
Publish On | July, 2000 |
Publisher |
About the Authors
श्रमिक की व्यथा काव्य संग्रह में उपरोक्त सम्मानित लेखकों ने अपना योगदान दिया-
- दीपक मेनारिया ‘दीपू’
- विजयानंद विजय
- अभिलाषा चौहान
- नम्रता श्रीवास्तव
- मो. मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
- पल्लवी गोयल
- दीपक क्रांति
- नंदिनी यादव
- हिमांशु श्रीवास्तव
- रत्नेश यादव
- मनप्रीत सिंह
- आकिब जावेद
- रितु असूजा
- खेम सिंह चौहान “स्वर्ण”
- शुभम किरवाड़ा
- आनन्द सिंह शेखावत
- रॉनी इनोफाइल
- अंकित
- विजयानंद विजय
- संतोष कदम
- सुखविंद्र सिंह मनसीरत