एक कवि अपनी भावनाओं पर क़ाबू नहीं पा सकता। यह अगर ज्यादा हो गया हो तो इतना ज़रूर लिख सकता हूँ कि एक कवि अपनी भावनाओं पर इतनी आसानी से क़ाबू नहीं पा सकता। समाज में अनगिनत ऐसे मुद्दे हैं ….घर परिवार में ऐसे कई मसले हैं ….रोज़-रोज़ घटित होने वालीं ऐसी कई घटनाएँ हैं जो कभी आपको गुदगुदाती हैं, कभी रुलातीं हैं, और कभी झकझोर देती हैं। एक कवि हृदय के लिए ये मुद्दे ठीक उस घी की तरह काम करते हैं जो साहित्य रूपी हवन कुंड में पड़ कर हवन के तेज को और ज्यादा प्रज्ज्वलित कर देता है। “बंद पन्ने” में समाज का दर्द है, उपेक्षितों की आह है, शोषितों की बग़ावत है, बंद पन्नों में मेरी भावनाएँ हैं जो पद्यों में प्रस्फुटित हुई हैं। काव्य ज़गत की पंजी में मेरी उपस्थिति मात्र है – “बंद पन्ने”।
Book Information’s | |
Author | Rajeev Kumar Jha |
ISBN | 978-9387856165 |
Language | Hindi |
Pages | 104 |
Binding | Paperback |
Genre | Poetry |
Publish On | June, 2020 |
Publisher |
About the Author
31 जुलाई 1983 को चंपारण की धरती पर ढाका के सोरपनिया गाँव में जन्में राजीव कुमार झा अपनों के बीच “राजू” और बच्चों के बीच “सर” से हीं संबोधन पाते रहे हैं। 2006 में हिन्दी में प्रतिष्ठा एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में हीं 2011 मे हिन्दी में स्नाकोत्तर करने के बाद बाबा भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से हिन्दी पत्रकारिता में शोधरत हैं। अभी मोतिहारी में ही बिहार सरकार के अधीन मुजीब बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में भाषा के शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। गरीब बच्चों के निःशुल्क शिक्षा के लिए एक कार्यक्रम मिशन मुजीब का संचालन भी करते हैं। जहां आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चे निःशुल्क पढ़ सकते हैं। शिक्षक की सेवा से पहले राजीव ने एक पत्रकार के तौर पर हिंदुस्तान, प्रभात खबर, सर्वोदय, जागृति टाइम्स (सभी हिन्दी दैनिक), बिहारी खबर, गाँव कनेकशन, कुबेर टाइम्स, कामता टुडे, नॉर्थ इंडिया टाइम्स (सभी साप्ताहिक), द लाइट ऑफ बिहार, सेवेन डेज, (मासिक) आदि पत्र पत्रिकाओं में अपनी लेखनी चलाई। लेकिन इन सबसे इतर राजीव हमेशा से कविहृदय रहे। अपनी भावनाओं, अपने सपनों, अपने विचारों को शब्दों में, छंदों में पिरोते रहे। यह यात्रा अब भी जारी है।