About the Book
समीक्षक डॉ. ज्योत्सना सिंह की समीक्षा के युवा लेखिका मालती मिश्रा ने 13 कहानियों के संग्रह को अपने अनुभवों की स्याही से भावनाओं की लेखनी के साथ समसामयिक विषयों के चिंतन को बखूबी उकेरा है।
इस कहानीं संग्रह में ऐसा प्रतीत होता है कि लेखिका समाज के आसपास के वातावरण में घटित होने वाली घटनाओं से अत्यधिक प्रभावित है, प्रथम कहानीं इंतजार का सिलसिला, बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है बेटे की वाट जोहते बूढ़े माँ बाप, फर्ज निभाने वाला मित्र, अंतरात्मा को झकझोर देने वाली कहानीं है।
दूसरी कहानीं शिक़वे- गिले, मात्र संदेह के आधार पर दो सहेलियों के मध्य उत्पन्न हुए गिले शिक़वे और सुखान्त प्रणय की कल्पना को प्रस्तुत करती कहानीं। तीसरी कहानीं परिवर्तन जिसमें कानून व्यवस्था के साथ खिलबाड़ करने वाले युवक और अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित पुलिस कर्मियों के परिवार जनों और उनकी समस्याओं का बहुत सटीक चित्रण किया है आठ साल की बच्ची की मनोदशा, उसका डर, एवं विचार मन्थन को लेखिका ने खूब सराहनीय वर्णन किया है। चौथी कहानीं वापसी की ओर कहानीं में काका-काकी का निश्छल प्रेम समर्पण, विजय का त्याग, ग्रामीण समाज की अशिक्षित दकियानूसी सोच और संकीर्ण मानसिकता का समन्वित चित्रण किया गया है। पाँचवी कहानीं दासता के भाव, यह मुंशी प्रेमचंद की कहानियों से प्रभावित कल्पना प्रतीत हो रही है। आज समाज में बहुत परिवर्तन हो चुका है आज पूरा सवर्ण समाज ही शोषित है। एक स्त्री पात्र दीदी और मास्टर जी की लड़की के आत्मविश्वास और साहस की कहानीं है, जिसके माध्यम से कहानीं एक मोड़ पर समाप्त करना लेखिका के लेखन की कार्यकुशलता का परिचायक है। छठवीं कहानीं फैंसला विवशताओं से घिरी, सच्चे प्रेम की चाहत में दोहराये पर खड़ी ,संघर्षों से जूझती हुई स्त्री के मन की पीड़ा का बहुत स्वाभाविक चित्रण है इस प्रकार यह कहानी वर्तमान युग मे बिखरते मध्यवर्गीय परिवार की त्रासदी तथा मूल्यों के विघटन की समस्या पर प्रकाश डालती है।
About the Author
DESCRIPTION OF BOOK | |
Author | मालती मिश्रा |
ISBN | 978-9388049009 |
Language | हिन्दी |
Page & Type | Paperback |
Genre | साहित्य |
Pages | N/A |
First Edition | 2018 |
Revision | 1st Edition |
Price | ₹ 175 |
Publisher | Samdarshi Prakashan |
Buuks2Read Rating | ★★★★☆ (4.5) |