
वंश के अभिमान में डूबे एक ऐसे इंसान की कहानी, जिसे वंश चलाने के लिए पुत्र की चाहत थी। पत्नी से पुत्र के बजाय पुत्री के रूप में संतान मिली तो ठाकुर ने उसे तुरंत नजरों से दूर कर दिया। अगली संतान की प्राप्ति हुई तो वह किन्नर था…ईश्वर की लीला ने अपना रंग दिखाना आरम्भ किया तो ठाकुर के सामने पश्चाताप में सिर झुकाने के अलावा कोई चारा न था।
वरिष्ठ उपन्यासकार एवं स्क्रीनप्ले आर्टिस्ट आबिद रिज़वी की जुबानी –
एक ऐसा किरदार जो समलिंगी है। दुनिया उसे ‘किन्नर’ सम्बोधन देती है। जिसे ईश्वर उच्च कुल में पैदा करता है, पर वह वेश्या के कोठे पर परवरिश पाता है। उसकी रगों में दौड़ता खून उसे मानवीय अनुभूतियाँ, त्याग और बलिदान की भावना से लबरेज़ रखती हैं। यही वजह हैं कि कथानक के शुरू से अंत तक किन्नर ही, कहानी के केन्द्र में मौजूद रहकर अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाता रहता है। जब उसे मानवीय संवेदनाओं के इम्तहान से गुज़रना पड़ता है तो उसे त्यागने वाले भी उसे बांहें पसारे अपनाने के लिए लालायित हो उठते हैं।
पुस्तक का विवरण | |
Author | Dr. Fakhre Alam Khan ‘Vidyasagar’ |
ISBN | 978-93-878567-5-2 |
Language | Hindi |
Page & Type | E-Book |
Genre | Fiction |
Publish On | 2018 |
Price | $2.00 |
Publisher | Prachi Digital Publication |