Ikshvaku Ke Vanshaj (Hindi, Paperback | Tripathi Amish)

0
71

Ikshvaku Ke Vanshaj (Hindi, Paperback | Tripathi Amish)

About the Book

३4०० ईसापूर्व, भारत।
अलगावों से अयोध्या कमज़ोर हो चुकी थी। एक भयंकर युद्ध अपना कर वसूल रहा था। नुक्सान बहुत गहरा था। लंका का राक्षस राजा, रावण पराजित राज्यों पर अपना शासन लागू नहीं करता था, बल्कि वह वहां के व्यापार को नियंत्रित करता था। साम्राज्य से सारा धन चूस लेना उसकी नीति थी। जिससे सप्तसिंधु की प्रजा निर्धनता, अवसाद और दुराचरण में घिर गई। उन्हें किसी ऐसे नेता की ज़रूरत थी, जो उन्हें दलदल से बाहर निकाल सके।
नेता उनमें से ही कोई होना चाहिए था। कोई ऐसा जिसे वो जानते हों। एक संतप्त और निष्कासित राजकुमार। एक राजकुमार जो इस अंतराल को भर सके। एक राजकुमार जो राम कहलाए।
वह अपने देश से प्यार करते हैं। भले ही उसके वासी उन्हें प्रताड़ित करें। वह न्याय के लिए अकेले खड़े हैं। उनके भाई, उनकी सीता और वह खुद इस अंधकार के समक्ष दृढ़ हैं।
क्या राम उस लांछन से ऊपर उठ पाएंगे, जो दूसरों ने उन पर लगाए हैं?
क्या सीता के प्रति उनका प्यार, संघर्षों में उन्हें थाम लेगा?
क्या वह उस राक्षस का खात्मा कर पाएंगे, जिसने उनका बचपन तबाह किया?
क्या वह विष्णु की नियति पर खरा उतरेंगे?

अमीश की नई सीरिज “रामचंद्र श्रृंखला” के साथ एक और ऐतिहासिक सफ़र की शुरुआत करते हैं।

 About the Author

आई.आई.एम (कोलकाता) से प्रशिक्षित और 1974 में पैदा हुए अमीश एक बैंकर से सफल लेखक तक का सफ़र तय कर चुके हैं। अपने पहले उपन्यास मेलूहा के मृत्युंजय (शिव रचना त्रय की प्रथम पुस्तक) की सफलता से प्रोत्साहित होकर उन्होने फानेंशियल सर्विस का 14 साल का करियर छोड़कर लेखन में लग गए। इतिहास, पौराणिक कथाओं एवं दर्शन के प्रति उनके जुनून ने उन्हें विश्व के धर्मों की खूबसूरती और अर्थ समझने के लिए प्रेरित किया। अमीश अपनी पत्नी प्रीति और बेटे नील के साथ मुंबई में रहते हैं।

Description of Book

Author
Tripathi Amish
ISBN
978-9385152153
Language
Hindi
Binding
Paperback
Genre
Fiction
Pages
350
Publishing Year
2015
Price
350.00
Rating on Flipkart
★★★★☆ (4.4)
Publisher
Westland
Ikshvaku Ke Vanshaj (Hindi, Paperback | Tripathi Amish)

 

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments