नन्हें-मुन्नों के लिए सृजित साझा काव्य संग्रह ‘बाल काव्य’ के सभी सम्मानित लेखकों से एक एक्सक्लूसिव साक्षात्कार Buuks2Read द्वारा किया गया है। बता दें कि ‘बाल काव्य’ साझा काव्य संग्रह का संपादन खेम सिंह चौहान ‘स्वर्ण’, अर्चना पांडेय ‘अर्चि’, निकिता सेन’दीप’ और डॉ. मीना कुमारी सोलंकी ‘मीन’ जी द्वारा किया गया है। संपादकीय टीम द्वारा रचनाओं का स्तरीय चयन और संपादन कार्य बहुत ही शानदार है, जिसके लिए Buuks2Read की ओर से पुन: ढ़ेरों शुभकामनाएँ। इसी सीरीज़ में हम आपके लिए काव्य संग्रह के एक लेखक शिवानन्द चौबे जी का साक्षात्कार आपके लिए प्रस्तुत कर रहें है।
Buuks2Read : यदि आप अपने शब्दों में हमारे और आपके सम्मानित पाठकों को अपना परिचय देंगें, तो पाठकों बहुत अच्छा लगेगा?
शिवानन्द चौबे : मैं शिवानन्द चौबे, श्री गौरीशंकर संस्कृत महाविद्यालय सुजानगंज जौनपुर से हूँ। सम्मानित पाठकगण मुझसे मोबाईल 9554606070 पर संपर्क कर सकते हैं।
Buuks2Read : हाल ही में आपका साझा बाल काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है, इसमें शामिल होने के पीछे क्या कारण रहा?
शिवानन्द चौबे : आचार्य मम्मट ने कहा है – यशसे अर्थकृते व्यवहारविदे शिवेत रक्षतए …………….। अर्थात इन्हीं के लिए सृजन किया जाता है। मेरा इसमें शामिल होने और रचना कर्म करने का मूल कारण है यश की प्राप्ति।
Buuks2Read : साहित्यिक सेवा के लिए आपको अब तक कितने सम्मान प्राप्त हुए हैं? क्या आप उनके बारे मे कोई जानकारी देना चाहेंगे?
शिवानन्द चौबे : तीन बार अंगवस्त्र से सम्मानित, दो बार स्मृति चिह्न से सम्मानित तथा पांच सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा राष्टीय सेमिनार में दो बार प्रतिभाग का प्रमाणपत्र और एक बार प्रमुख वक्ता का प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है।
Buuks2Read : आपकी पहली पुस्तक के बारे में बताएं? और कब प्रकाशित हुई थी?
शिवानन्द चौबे : मेरी दो पुस्तकें वर्ष २०१७ में एक साथ प्रकाशित हुई थीं। प्रथम खंडकाव्य महाकवि कालिदास के मेघदूतम की कथा पर आधारित तथा दूसरा खंडकाव्य अलि गुंजन उद्धव गोपी प्रसंग पर आधारित है।
Buuks2Read : आप कब से लेखन कर रहें हैं और पुस्तक प्रकाशित करने का विचार कैसे बना?
शिवानन्द चौबे : नियमित लेखन वर्ष २००७ से कर रहा हूं। लिखने का अर्थ ही तभी फलीभूत होता है जब प्रकाशन होता है। प्रकाशन का तात्पर्य ही मेरे अनुसार अपने तक सीमित वस्तु को सार्वजनिक करना।प्रकाशन का यही औचित्य है।
Buuks2Read : पहली पुस्तक के प्रकाशन के दौरान अनुभव कैसा रहा?
शिवानन्द चौबे : अनुभव सुखद ही रहा। कोई कठिनाई नहीं हुई।
Buuks2Read : आपकी पसंदीदा लेखन विधि क्या है, जिसमें आप सबसे अधिक लेखन करते हैं?
शिवानन्द चौबे : मेरी प्रिय विधा कविता ही है। कविता के अतिरिक्त और किसी विधा में अभी तक रुचि उत्पन्न नहीं हुई न ही कुछ लिखा ही।
Buuks2Read : आप अपनी रचनाओं के लिए कहां से प्रेरणा प्राप्त करते हैं?
शिवानन्द चौबे : अपनी कल्पनाशीलता तथा आस पास के वातावरण से। उदाहरण के लिए एक दिन घर आते समय रास्ते में एक महिला अपने पुत्र को कह रही थी कि मारब त तोहार मोटाई झरि जाए। मैंने सुना और अपने अलि गुंजन खंडकाव्य में प्रयोग किया। राधा कहती है कृष्ण से जो पंक्ति इस प्रकार है –
रोके नहीं रुकती हंसी जो कहा नेह ते कि मारब त तोहरी मोटाई झरि जाएगी।
Buuks2Read : आपके जीवन की सबसे यादगार उपलब्धि, जिसे आप हमारे और अपने पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहेंगे?
शिवानन्द चौबे : सबसे यादगार उपलब्धि यही रही की २०१५ में वेतन पा गया और आर्थिक रूप से निश्चिन्त होकर लेखन कार्य में दत्तचित्त हो गया। यदि ऐसा न हुआ होता तो शायद इतना समय न दे पाता और न ही नून तेल लकड़ी के चक्कर में इतनी रुचि ही होती।
Buuks2Read : आपका सबसे प्रिय शिवानन्द चौबे / लेखिका और उनकी रचनाएँ / किताब?
शिवानन्द चौबे : हिन्दी में जय शंकर प्रसाद जी उनकी कामायनी और आंसू। संस्कृत में महाकवि कालिदास और उनका मेघदूतम।
Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
शिवानन्द चौबे : हिन्दी भाषा और उसका साहित्य पूरी तरह प्रौढ़वय को प्राप्त हैं। विशाल रचना भंडार से समृद्ध है और आगे भी निरन्तर लेखन जारी है। हिन्दी एक वैश्विक भाषा हो चुकी है।इसका क्षय अब असंभव है।
Buuks2Read : वर्तमान व्यवसाय और लेखन के अलावा आपके अन्य शौक क्या हैं, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
शिवानन्द चौबे : अन्य कोई शौक नहीं है। पठन पाठन तथा रचना यही प्रिय शौक है।
Buuks2Read : अब तक प्रकाशकों के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?
शिवानन्द चौबे : सीमित अनुभव है पर अभी तक उसे कटु अनुभव नहीं कह सकता। संतोषजनक है।
Buuks2Read : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
शिवानन्द चौबे : मेरा यही संदेश है कि हम कुछ नहीं है। हमारा अस्तित्व उन्हीं से है। उनके स्नेह की ही कामना हमेशा रहती है। लेखक के लिए सबसे ज्यादा प्रिय पाठक ही होते हैं।
Buuks2Read : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
शिवानन्द चौबे : तीन रचनाएं पूरी हो चुकी हैं। एक रम्भा खंडकाव्य। दूसरा गीतों का संग्रह गीत गुंजन और तीसरा कविता संग्रह वातायन। शीघ्र प्रकाशित कराने की योजना है पर प्रकाशक अभी निश्चित नहीं कर पाया हूं।
Buuks2Read : नवोदित लेखकों को क्या सलाह देना चाहेगें?
शिवानन्द चौबे : नवोदित रचनाकारों को मेरी सलाह है कि अपनी रचना का बार बार अवलोकन करें। मंथन करें और जब मथते मथते माखन रह जाय तब प्रस्तुत करें।
Buuks2Read : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
शिवानन्द चौबे : अवश्य। इसे जब तक जीवन है तब तक छोड़ नहीं सकता।
About the ‘Bal Kavya – Poetry Collection’
‘बाल कविता’ यानी बच्चों के लिए लिखी गयी कविता, जिसमें बच्चों की शिक्षा, जिज्ञासा, संस्कार एवं मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर रचना की गई हो। वह चाहे माँ की लोरियों के रूप में हो, या पिता की नसीहतों के रूप में, या बच्चों के आपस के खेल-खेल में हो। इसमें भले ही निरर्थक शब्दों की ध्वनियाँ होती हैं, पर बड़ी आकर्षक होती हैं। ऐसी ही कविताओं को इस साझा संग्रह में शामिल किया गया है, जो नन्हें बच्चों को बहुत पसंद आयेगी।
Follow on WhatsApp : Subscribe to our official WhatsApp channel to get alret for new post published on Buuks2Read - Subscribe to Buuks2Read.
Copyright Notice © Re-publishing of this Exclusive Post (Also applicable for Article, Author Interview and Book Review published on buuks2read.com) in whole or in part in any social media platform or newspaper or literary magazine or news website or blog without written permission of Buuks2Read behalf of Prachi Digital Publication is prohibited, because this post is written exclusively for Buuks2Read by our team or the author of the article.