पिछले दिनों Buuks2Read टीम ने मराठी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार नागेश सू. शेवाळकर जी से एक साक्षात्कार किया है। नागेश जी ने पिछले कुछ समय पहले ही हिन्दी साहित्य में प्रवेश किया है। नागेश जी पहला हिन्दी कहानी संग्रह ‘संग संग आया, कोरोना का साया’ प्रकशित हुआ है और उसके बाद ‘गैसबाला‘ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुआ है। Buuks2Read के साथ साक्षात्कार के दौरान लेखक द्वारा काफी दिलचस्प बातें शेयर की गईं और उनकी साहित्यिक यात्रा को विस्तार से जानने का अवसर मिला। आशा करते हैं कि हमारे पाठकों को नागेश जी के साथ किया गया साक्षात्कार पसंद आएगा। पेश हैं आपके लिए साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश-
Buuks2Read : नागेश जी, नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
नागेश सू. शेवाळकर : महोदय, नमस्कार, Buuks2Read जैसे बडे और लोकप्रिय व्यासपीठ पर मेरा साक्षात्कार देने का स्वर्ण अवसर आपने मुझे दिया। यह मेरे लिए बडे ही सौभाग्य और गौरव की बात है, इसलिए मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। मेरा नाम नागेश सूर्यकांत पांडे है। लेखक के रुप मे मुझे नागेश सू. शेवाळकर इस नाम से जाना जाता हूँ। मैं सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हूँ।
मैं 1990 से मराठी भाषा में लेखन कर रहा हूँ। मेरा पहला उपन्यास ‘तृषित तृष्णा’ सन 1993 में प्रकाशित हुआ। तब से साहित्य पथपर निरंतर चल रहा हूँ। मराठी भाषा में अब तक उपन्यास, कहानी, पत्र, चरित्र, धार्मिक किताबों सहित करीब चालीस किताबें प्रकाशित हो चुकी है। वर्तमान समय ‘डिजिटल इंडिया’ का जमाना है। साहित्य क्षेत्र में भी इस बदलाव से मानो एक क्रांति हुई हैं। अनेक वेबसाइट, संस्था ऑनलाइन साहित्य प्रकाशित करती हैं। इस बदलाव को मैनें भी स्वीकार किया है। मातृभारती, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, शॉपिज़ेन जैसे अग्रगण्य संस्थाओंके पटल पर मराठी उपन्यास, कहानी संग्रह, चरित्र, पत्र आदि लगभग तीस किताबें प्रकाशित हुई हैं।
कुछ सालों से मैं हिंदी साहित्य की ओर आकर्षित हुआ हूँ। पुणे महाराष्ट्र से ‘काव्यदीप’ यह वार्षिक दिवाली अंक प्रकाशित होता है। इस अंक में मेरी हिंदी कहानियां प्रकाशित होती है। सन 2021 में श्रीहिंद प्रकाशन (उज्जैन), रवीना प्रकाशन (दिल्ली), प्राची डिजिटल पब्लिकेशन (उधम सिंह नगर) इन प्रकाशन संस्था की ओर से प्रकाशित हुए साझा कहानी संग्रह में मेरी कहानियां प्रकाशित हुई हैं। इससे मेरा हौसला तो बढ़ा और साथ ही मैं हिन्दी साहित्य लेखन की ओर बढ़ा। मेरा पहला हिंदी कहानी संग्रह ‘संग-संग आया, कोरोना का साया’ रवीना प्रकाशन दिल्ली की ओर से प्रकाशित हुआ है। ‘गैसबाला’ यह मेरा दूसरा कहानी संग्रह ‘तनीशा पब्लिशर्स’ उधम सिंह नगर द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Buuks2Read : आपकी हिन्दी भाषा में प्रकाशित पहली पुस्तक के बारे में बताएं?
नागेश सू. शेवाळकर : हिंदी भाषा में मेरा पहला कहानी संग्रह ‘संग संग आया, कोरोना का साया’ प्रकाशित हुआ है।
Buuks2Read : आपकी पुस्तक ‘गैसबाला’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
नागेश सू. शेवाळकर : हाँ! ‘गैसबाला’ यह भी एक चार हास्य कहानियों का संग्रह है। जैसा कि किताब का नाम गैसबाला है, इस वजह से इस कहानी में ऐसी कल्पना की है कि घर घर गैस सिलेंडर लेकर जो आदमी आते है, उनके बजाय कोई सुंदर कन्या यह सिलेंडर लेकर आती है, तब कैसे-कैसे हास्य विस्फोट होते है, कैसी-कैसी विनोदपूर्ण घटना घटती है इसका वर्णन किया है।
इस किताब की दूसरी कथा ‘गड्ढों का शहर’ यह है। हम सब लोग गांव, गली, शहरों के सडक पर पड़े गड्ढों से काफी परेशान है। इस विषय को लेकर सड़कों पर हुए गड्ढों से परेशानी तो सौ टका हो रही है लेकिन कुछ हास्य घटनाएं भी होती है। जी हाँ, गड्ढों के कारण अनेक विनोदपूर्ण घटना होती है या कुछ घटना कल्पनाओं से लिखी है।
‘बीवी मेरी सब से प्यारी’ यह तीसरी कहानी है। आमतौर पर हर एक विवाहित पुरुष की यही भावना होती हैं कि मेरी बीवी सब से प्यारी है। मन में कुछ अलग बात होते हुए भी हर कोई इसे नकारता नहीं… बीवी के सामने तो बिल्कुल नहीं। ऐसी सोच होते हुए भी, अगर पत्नी स्वयं पति की भावना जानते हुए उसके लिए दूसरी महिला को शयनकक्ष में भेजती है…. क्या धमाल या धमाका हुआ होगा यह जानने के लिए यह कहानी जरूर पढना चाहिए।
‘आधी अधूरी है कहानी’ यह कहानी मध्यवर्ग के हर व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती है, ऐसा कहा जाए तो वह अतिशयोक्ति नहीं होगी। मध्यवर्ग के हर महिला को लगता है कि उसका पति उसके कामों में हाथ बंटाएं, कुछ मदद करे। पत्नी की जिद के आगे पति कुछ मदद करने जाता है, लेकिन क्या उसने किए काम पत्नी को पसंद आते है? पति के कामों से पत्नी संतुष्ट होती हैं? यह कहानी पढते समय पाठकों को महसूस होगा कि अरे! यह तो मेरे साथ भी हुआ है, तो यह लेखक के लिए बड़ा सम्मान होगा।
इस कहानी संग्रह को तनीशा पब्लिशर्स, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड के प्रमुख राजेन्द्र सिंह बिष्ट और उनके प्रकाशन सहयोगियों ने बडे आकर्षक और मन लुभावने ढंग से प्रकाशित किया हैं, इसलिए उन्हें जितने धन्यवाद दूँ, उतने ही कम है।
Buuks2Read : नागेश जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
नागेश सू. शेवाळकर : 2020 के अंत तक मेरी कोई हिंदी किताब प्रकाशित होगी, यह बात सपने मे भी नहीं सोची थी। श्रीहिंद प्रकाशन, रवीना प्रकाशन और तनीशा पब्लिशर्स की ओर से एक के बाद एक साझा कहानी संग्रहों के लिए मैं कहानियां भेजता गया और वह कहानियां प्रकाशित होती गई। कुल मिलाकर छह साझा कहानी संग्रहों में मेरी कहानियां प्रकाशित हुईं है, इससे कुछ अलग प्रेरणा मिली, एक अनोखी स्फूर्ति भी मिली। कुछ महीनें पहले रवीना प्रकाशन, दिल्ली द्वारा किताब प्रकाशित करवाने हेतु विज्ञापन दिखा, उसके बाद मैने प्रकाशक महोदय से संपर्क किया और कोरोना के बारे में ग्यारह हास्य कहानियां भेज दी। डेढ़ महिने में मेरा पहला कहानी संग्रह ‘संग संग आया, कोरोना का साया’ बहुत ही अच्छे स्वरूप प्रकाशित हो गया।
Buuks2Read : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
नागेश सू. शेवाळकर : तनीशा पब्लिशर्स की ओर से दिवाली ऑफर के अंतर्गत पुस्तक छापने का एक अच्छा विज्ञापन जारी किया गया था, जिस पर मेरी भी नज़र पड़ी। दिवाली ऑफर को सहर्ष स्वीकार करते हुए मैने चार दीर्घ कथाएं उन्हें भेज दी। प्रकाशक राजेंद्र सिंह ने जो समय सीमा तय किया था, उससे पहले मेरा ‘गैसबाला’ कहानी संग्रह मेरे हाथ में था। मुखपृष्ठ हो या पिछला पृष्ठ हो या फिर प्रूफ रीडिंग हो, जब तक मेरा समाधान नही होता था, वे आगे नही बढ़ते थे।
किताब की कुछ बाह्य विशेषताएं होती है, जैसे कि मुखपृष्ठ, पिछला पृष्ठ, कागज, अक्षरों का आकार, पन्नों की रचना, सब कुछ बहुत अच्छे तरीके से प्रकाशक महोदय ने सजाया है। जिसे भी मैं यह किताब दिखाता हूँ, वह इसके बाह्य रूप की भरपूर प्रशंसा करता है। अत्यंत मनोहारी यह किताब प्रकाशित करने के लिए मैं राजेन्द्र सिंह बिष्ट का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ।
Buuks2Read : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
नागेश सू. शेवाळकर : एक बात स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूँ कि मैने कभी भी सोचा नही था, मैं लेखक बनूंगा। शिक्षा पूरी होते ही अध्यापक की नौकरी मिल गई लेकिन साहित्य पढ़ने में ज्यादा रूचि नहीं थी। बात उन दिनों की है, जब मा. राजीव गांधी जी और मा. चंद्रशेखर जी के बीच फोन टैपिंग का किस्सा चल रहा था, तब एक दिन मन में क्या ख्याल आया पता नही, मैं कागज और कलम लेकर बैठ गया और मन में आए विचार कागजों पर लिखता गया। कुछ ही घंटों में मेरी पहली हास्य कहानी ‘धमाल फोनची…’ तैयार हुई। तुरंत एक- दो बार मैने खुद ही पढ़ी। पढ़ते-पढ़ते मैं खुद हंसने लगा। कुछ घंटो से मेरा कुछ लिखना, पढते समय हंसना यह देखकर पत्नी और माताजी आश्चर्य में थी। मैने वह कहानी पत्नी को पढने को दी तो पत्नी ने पढ़ते हुए माँ जी को पढ़कर सुनाई तो दोनों भी हंसने लगी। बस इस तरह मेरा लेखन और साहित्य क्षेत्र में आगमन हुआ और मैं आज तक लगभग पिछले तीस सालों से लिखता आ रहा हूँ।
Buuks2Read : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
नागेश सू. शेवाळकर : वैसे कोई एक रचना का उल्लेख करना कठिन है क्योंकि मैं अब तक मैं तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिख चुका हूँ। उसमें से अधिकांश कहानियाँ प्रकाशित की जा चुकी है। साथ ही मेरे अब तक दस उपन्यास प्रकाशित हुए है, लेकिन ‘साड़ी संक्रातीची’ यह कहानी सबसे लोकप्रिय हुई है। बीस साल पहले लिखी यह कहानी आज तक कई जगह से प्रकाशित हुई है। एक पति जो अपने पत्नी के लिए संक्रांति की साड़ी खरीदने जाता है, तो उस पर क्या गुजरती है, साथ ही साड़ी खरीदने के लिए महिलाएं कितना वक्त लेती है। यह उस कहानी का मूल आशय हैं।
दूसरी कहानी है, ‘न संपणारा शेवट’ यह कहानी ऐसे बालकों की है, जिन्हें उनकी माताएं जन्म देने के पश्चात किसी आश्रम के दरवाज़े पर छोड देती है। आश्रम के संत-मुनि और अन्य लोग इन बच्चों की देखभाल करते है। यह बच्चे गांव-गांव घूमकर भिक्षा मांगते है। तब उनके मन में कैसे-कैसे विचार आते है, उनका वर्णन इस कथा मे किया है। जिसे वाचकों ने काफी पसंद किया है।
Buuks2Read : नागेश जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
नागेश सू. शेवाळकर : साहित्य सृजन के दौरान अनेक लोगों का सहयोग प्राप्त होता है, लेकिन उससे पहले मेरे पारंपरिक और धार्मिक गुरु श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज इनका और प. पू. श्री श्रीनिवास पुराणिक गुरुजी दोनों का आशीष मेरे माथे पर हमेशा होता है। कोई किसी विषय पर आलेख या कहानी लिखने को कहता है, या कोई कहानी के बारें में कुछ सुझाव देता है, ऐसे महानुभावों की संख्या बहुत है, लेकिन जैसे मैंने पहले अपनी पत्नी का उल्लेख किया, मेरे साहित्य निर्मिति में उनका बहुत बड़ा योगदान रहता है। साथ ही मेरे दोनों सुपुत्र और दोनों बहुओं का सहयोग भी हमेशा मिलता है। पत्नी और कुटुम्ब के सदस्यों का बड़ा महत्वपूर्णं योगदान है।
Buuks2Read : नागेश जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
नागेश सू. शेवाळकर : साहित्य के लिए मुझे अब तक कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हो चुकें है। मराठी साहित्य में मान-सन्मान निम्न प्रकार हैं-
- मातृभारती ईन्फोटेक संस्था की ओर से ‘वाचक पसंती’ पुरस्कार से सम्मानित किया है।
- स्टोरी मिरर या संस्था की ओर से ‘लिटरेरी कर्नल’ आणि ‘लिटरेरी ब्रिगेडियर’ यह दो सम्मान प्राप्त हुए है।
- मातृभारती ईन्फोटेक संस्था की ओर से ‘मानसून स्टोरी चँलेंज’ प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तरपर दूसरा क्रमांक प्राप्त है।
- तृषित तृष्णा, विषयांतर, शेतकरी आत्महत्त्या करी उपन्यासों को राज्यस्तरीय पुरस्कार.
- मरणा तुझा रंग कसा? इस हास्य कथासंग्रह के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार।
- गॅसबाला हास्य कहानी संग्रह के लिए चंद्रपूर फिनिक्स साहित्य पुरस्कार।
- सदाबहार चरित्र ग्रंथ के लिए मराठी साहित्य परिषद, बडोदा (गुजरात) राष्ट्रीय पुरस्कार।
- मातृभारती इन्फोटेक संस्था की ओर से ‘सचिन’ आणि ‘गणपतिबप्पा’ दो लेखों को राष्ट्रीय पुरस्कार।
- ‘शेतकरी आत्महत्त्या करी’ इस उपन्यास की तीन आवृत्ति का प्रकाशन। कादंबरी का ‘महाराष्ट्र सरकार की एक योजना में समावेश।
- ‘सानेगुरुजींच्या छान छान गोष्टी’ यह द्वैभाषिक किताब (मराठी- इंग्रजी) को ‘वाचन प्रेरणा’ उपक्रम के लिए चुना गया।
- ‘अमृताचा घनुः राम शेवाळकर’ इस चरित्र ग्रंथ को महाराष्ट्र शासन की योजना के लिए चुना है।
- ‘श्यामच्या छान छान गोष्टी’ इस किताब को पहली ते चौथी कक्षा के लिए ‘पुरवणी वाचन’ उपक्रम के लिए चुने जाने के बाद इस किताब प्रथम संस्करण ‘अस्सी हजार’ प्रति का है।
- साहित्य क्षेत्र का योगदान देखते हुए श्री.डी. बी. शिंदे अध्यक्ष ‘शब्दधन जीवन गौरव काव्यमंच इस साहित्य संस्था ने आपको ‘जीवन गौरव’ यह प्रतिष्ठा पुरस्कार प्रदान किया है।
वहीं हिंदी साहित्य में सम्मान एवं सन्मान निम्न प्रकार हैं-
- प्राची डिजिटल पब्लिकेशन (उधम सिंह नगर) का ‘साहित्य रत्न 2021 पुरस्कार।
- श्रीहिंद प्रकाशन की ओर से आयोजित कहानी प्रतियोगिता में चुने गए पचास कहानियों में मेरी कहानी का समावेश।
- ‘बरसात की खट्ठी-मीठी यादें’ कहानी का ‘कहानियां’ साहित्य संस्था की ओर से पहले पाँच कहानियों मे समावेश।
- काव्यदीप दिवाली संस्करण 2021 ‘साहित्य सन्मान 2021’ प्राप्त।
- ‘सारंग’ त्रैमासिक बिहार: कार्यकारी संपादक पद पर नियुक्ति। मुख्य संपादक: श्री विजय कुमार।
Buuks2Read : नागेश जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
नागेश सू. शेवाळकर : जैसा मैने पहले भी बताया है कि मैने उपन्यास, कहानी, पत्र, चरित्र सहित सभी विधा में लेखन किया है। जो सामाजिक है, विनोद भी है। एक बात मैने जानी है, वह यह है कि चरित्र लेखन कार्य थोड़ा कठिन हो जाता है। चरित्र की बात करें तो यह लिखते समय ज्यादा स्वतंत्रता नही होती या कल्पनाओं की उड़ान नही भरी जा सकती क्योंकि चरित्र नायक किसी बड़ी जनसंख्या का नायक होता है और लिखते समय थोड़ा भी इधर-उधर हो गया तो इस जनसंख्या को ठेस पहुंचती है, इसलिए चरित्र लिखते समय बहुत सावधानी बरतनी पडती है। मैने हिंदू ह्रदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जी और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का चरित्र लिखा है।
Buuks2Read : नागेश जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
नागेश सू. शेवाळकर : नहीं, ऐसा कोई समय तय नहीं होता कि मैं अमुक एक समय होते ही कहानी लिखूंगा। लेखन की क्रिया बहुत सारी बातों पर अधीन होती है। जैसे वातावरण, लेखक की मनस्थिति, स्थल, काल ऐसी अनेक बातें लेखन पर प्रभाव डालती है। वातावरण अच्छा है, स्थल भी एकांत का है, कोई शोरगुल नही है, यह बात मध्य नजर रखते हुए लेखन करने के लिए बैठता हूँ तो एक शब्द भी मनचाहा नही लिखा जाता। वहीं, दूसरी ओर भगदड़ मची हो, बहुत शोर शराबा चल रहा हो तो भी लिखने में तेजी आती है, कई दिनों से अटके विषय पर विचार बहने लगते है। मेरा अनुभव है कि आप कोई विषय लिखने के लिए चुनते हैं तो उसपर चिंतन, मनन शुरु रखे। जैसे ही विषय मन में आए तुरंत उसे कागज पर उतारने की जल्दबाज़ी न करे। गहराई से सोचते समय एक समय ऐसा आ जाता है कि आप बेकाबू, बेचैन, अस्वस्थ हो जाते हो। दिल की ऐसी अवस्था होते ही उस विषय पर लिखना चाहिए। तब एक अच्छी रचना जन्म लेती है। यह समय आधी रात का भी हो सकता है, जब आप गहरी नींद में होते हो तो आप अचानक उठते है, आप नहाते समय भी बेचैन हो उठते है।
Buuks2Read : नागेश जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?
नागेश सू. शेवाळकर : मेरी पहली ही कहानी ‘धमाल फोनची’ को द्वितीय क्रमांक प्राप्त हुआ और गुरुवर्य आदरणीय राम शेवालकर जी के शुभ हाथों से मैने यह एक आशीर्वाद के रुप में स्वीकार किया था। पुरस्कार देते समय श्री राम जी ने इतना ही कहा, ‘नागेश लिखते रहना…’ शायद यह शब्द मेरे लिए गुरुमंत्र जैसे साबित हुए और मैं लिखता गया।
दूसरी प्रेरणा मुझे मेरी पत्नी से हमेशा मिलती है। वह मेरे द्वारा रचित साहित्य की पहली वाचक और पहली समीक्षक है। उसकी ओर से हरा सिग्नल मिले बिना मैं अपनी रचना को आगे नहीं भेजता हूँ।
Buuks2Read : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
नागेश सू. शेवाळकर : हर कोई लेखक का एक सपना होता है कि उसकी किताब अच्छे स्वरुप में प्रकाशित हो, उसे बड़े पैमाने पर पाठकों का साथ मिले। मेरी भी यह इच्छा थी… है। ‘श्यामच्या छान छान गोष्टी’ यह मेरी बालकों के लिए इसाप प्रकाशन द्वारा छपी किताब है। जिसे महाराष्ट्र सरकार ने एक योजना के लिए चुना है। जिसकी अस्सी हजार प्रतियाँ छापकर सरकारने हर पाठशाला में भेजी है। यह मेरे लिए यादगार घटना और विशेष उपलब्धि है।
Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
नागेश सू. शेवाळकर : मेरे आदर्श गुरुवर्य आदरणीय राम शेवालकर जी हैं। उनकी किताबें, उनके व्याख्यान, उनका प्रवचन मुझे बेहद पसंद है, लेकिन उनके साहित्य का मेरे साहित्य पर कोई प्रभाव है, ऐसा मुझे नहीं लगता, क्योंकि राम जी तो राम जी है, बस मैं एक भक्त की तरह उनकी रचनाएं पढ़ता हूँ।
Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
नागेश सू. शेवाळकर : हिन्दी भाषा हम भारतवासियों के लिए अत्यंत जरुरी भाषा है। चाहे हम भारत के किसी भी प्रदेश में जाए, हम एक दूसरे से केवल एक भाषा के माध्यम से संवाद कर सकते है और वह भाषा है… हिन्दी। भारत देश विविधताओं से भरा हुआ देश है। पोशाक, खानपान, रहन-सहन आदि बातें जरूर भिन्न है लेकिन हमारी एकता अखंड है, अपराजित है। भले ही हमें एक-दूसरे की बोली या भाषा न समझ में आती हो लेकिन एक हिन्दी भाषा ऐसी है जो सभी को एक साथ और एकजुट रखती है।
हर प्रदेश की भाषा अलग अलग होने से उस भाषा में लिखा जाने वाला साहित्य, विभिन्न रचना प्रादेशिकता के दायरे में अटकी रहती है। लेकिन अलग अलग भाषाओं का साहित्य जब हिन्दी भाषा में अनुवाद होकर आएगा तो हम सब को नया कुछ पढने और समझने को मिलेगा। हम भारतवासी ऐसे साहित्य से एक दूसरे के ज्यादा करीब आएंगे, भाईचारा बढ़ेगा। हम सब भाई-भाई का नारा अधिक बुलंद होकर वास्तव मे आएगा।
Buuks2Read :साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
नागेश सू. शेवाळकर : साहित्य सृजन के अलावा मुझे क्रिकेट से बहुत लगाव है, प्यार है। जैसा मुझे याद है, मैं 1976 से क्रिकेट की ओर आकर्षित हुआ हूँ और तब से मैं भूख-प्यास भूलकर किसी भी समय क्रिकेट का मैच हो, मैं मैच जरूर देखता हूँ। जब महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का युग प्रारंभ हुआ तो मैं उनके खेल, उनके स्वभाव का दिवाना हुआ था। तब तक मैं लेखन क्षेत्र में पाँव जमा चुका था। शुरुआत में क्रिकेट पर और सचिन के बारे में कुछ आलेख लिखने के बाद मैने ‘क्रिकेटरत्न सचिन’ यह किताब लिख दी। जिसे पाठकों ने काफी पसंद किया।
Buuks2Read : नागेश जी, क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
नागेश सू. शेवाळकर : बिल्कुल। भविष्य में अलग अलग विषयों पर बहुत सारी किताबें प्रकाशित करने की योजना हैं। विषय कौन से रहेंगें यह बात मैं नहीं बता सकता हूँ। कोई कॉन्फिडेंशियल बात नहीं है, कोई सस्पेंस भी नहीं है, क्योंकि कोई एक बताऊं या उस पर लिखने के लिए सोचता हूँ तो अचानक नया विषय सामने आ जाता है, इसलिए जैसा वक्त आएगा, जैसे विषय सामने आएंगे, मैं उसे रचना का स्वरूप देने का प्रयत्न करुंगा। उमर साठ के पार गई है, लेकिन मैं लिखता रहूँगा… लिखता रहूँगा।
Buuks2Read : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
नागेश सू. शेवाळकर : साहित्य क्षेत्रों में अलग अलग क्षेत्रों से अनेक लेखक आ रहें है। मैं मानता हूँ कि इन सब लेखकों के हाथ में साहित्य का क्षेत्र पूर्ण रुप से सुरक्षित है। इनकी विचार धारा, इनकी सोच, इनके अनुभव, इनके विषय अलग होने के कारण साहित्य में एक नया मोड़ आ रहा है जो स्वागत योग्य है। मै विनम्रता से एक बात कहना चाहता हूँ कि कुछ लिखने से पहले बहुत पढ़ना चाहिए, हमारे समाज का, आजू-बाजू जो घटनाएं घटती है, उनका बारीकी से अभ्यास करना चाहिए। मेरा अनुभव है कि लेखन के लिए विषय ढूंढने की जरूरत नहीं है, वह हमारे आस-पास होते है। बस उसे पहचान करने की और सही ढंग से लिखने की जरुरत है। किसी भी विषय पर चिंतन-मनन करने के बाद जो परिपक्व विचार मन में आते है, उन्हे कागज पर उतारना चाहिए।
Buuks2Read : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
नागेश सू. शेवाळकर : जी हाँ। मैं भविष्य में लेखन की दुनिया मे रहकर हमेशा लिखना चाहता हूँ। अगर पुनर्जन्म की बात सच है, तो मैं अगले जन्म मे भी मैं लेखक बनना पसंद करुंगा क्योंकि लेखन करने से एक आनंद मिलता है। लेखन यह एक नशा है क्योंकि लेखक इस में सब कुछ भुलकर खो जाता है। अन्य किसी नशा से यह नशा बेहद अच्छा है।
Buuks2Read : नागेश जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
नागेश सू. शेवाळकर : शुभचिन्तक हो, पाठक हो या प्रशंसक हो सभी मेरे लिए आदरणीय है, भगवान समान है। सभी विद्वज्जनों से एक प्रार्थना अवश्य करुंगा, अब तक आप लोगों ने जो प्यार मुझसे और मेरी रचनाओं से किया, वह आगे भी कायम रहें, उसमें वृद्धि हो जाए। मैं आपको मेरी कलम से निराश नही करुंगा, आपकी सेवा में अच्छी सी अच्छी रचनाओं को पेश करुंगा। सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद, आभारी हूँ।
नागेश सू. शेवाळकर की पुस्तकें अमेजन एवं फ्लिपकार्ट से प्राप्त की जा सकती हैं-
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