पिछले दिनों प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा एक साझा लघुकथा संग्रह ‘अनवरत‘ प्रकाशित किया गया है, जिसका संपादन देवेन्द्र नारायण तिवारी ‘देवन’ जी द्वारा किया गया है। ‘अनवरत’ में देशभर से चुन्निदा रचनाकारों की रचनाएं शामिल हैं, जिनमें से एक लेखिका नीरू कुमारी सिंह जी का साक्षात्कार प्रकाशित किया जा रहा है। प्रस्तुत है ‘अनवरत’ साझा लघुकथा संग्रह के एक लेखिका नीरू कुमारी सिंह जी से साक्षात्कार-
Buuks2Read : हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। क्या आप हमारे पाठकों को अपने शब्दों में परिचय देंगें?
Niru Kumari Singh : मैं नीरू कुमारी सिंह और मेरा जन्म स्थान उत्तर प्रदेश है, लेकिन मेरी शिक्षा दीक्षा पश्चिम बंगाल में पूर्ण हुई है। पिछले 16 सालों से मैं पश्चिम बंगाल के एक प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूल में हिंदी शिक्षिका के रूप में कार्यरत हूँ।
Buuks2Read : आप साहित्य सृजन कब से कर रहें हैं, अब तक अर्जित उपलब्धियों की जानकारी देना चाहेंगे?
Niru Kumari Singh : साहित्यिक सेवा के लिए अभी तक मुझे दो सम्मान प्राप्त हुए हैं एक दिल्ली के नवसृजन साहित्य संस्था द्वारा हिंदी रत्न सम्मान और दूसरा छत्तीसगढ़ के नवीन कदम समाचार पत्र द्वारा हिंदी सेवी सम्मान है।
Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगें?
Niru Kumari Singh : डॉ. मंजरी शुक्ला जो सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार है उनकी रचनाएं मुझे बेहद पसंद है। उनसे ही मुझे लिखने की प्रेरणा मिली, जिसके बाद मैं ‘अनवरत’ की सह-लेखिका के रूप में आपके सामने हूँ।
Buuks2Read : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?
Niru Kumari Singh : मैंने पहले कविता लिखना शुरू किया था, मेरी कविता में हमेशा कोई न कोई कमी रही जाती थी। जिससे शर्मिंदा होकर मैंने लिखना ही छोड़ दिया था, लेकिन मेरे खास मित्र की प्रेरणा से मैंने फिर से लिखना शुरू किया और मेरी पहली कहानी को एक संस्था द्वारा उत्तम कहानी का स्थान प्राप्त हुआ।
Buuks2Read : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Niru Kumari Singh : अपने पाठकों और प्रशंसकों को मैं बस यही संदेश देना चाहूंगी कि जीवन में कभी भी पढ़ना बंद ना करें, अपनी और अपने आसपास की बेटियों को भी पढ़ाते रहें।
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