‘छत्तीसगढ़ महतारी – तोर माटी हे फुलवारी’ कविता संग्रह के लेखक प्रोफेसर गणेश राम सिन्हा जी से साक्षात्कार

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Buuks2Read को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए गणेश राम सिन्हा जी आपका धन्यवाद करते हैं। छत्तीसगढ़ निवासी लेखक गणेश राम सिन्हा जी पेशे से एक शिक्षाविद् हैं और वर्तमान में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, बैंगलोर (IIITB) मे एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। गणेश राम जी शिक्षाविद् होने के साथ ही गरीब व असहाय बच्चों की शिक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करते रहते हैं। लेखक का साक्षात्कार बहुत ही प्रेरक है और सभी पाठक गणेश राम जी के साक्षात्कार से जीवन में सफलता को पाने के लिए प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। Buuks2Read को दिए गए साक्षात्कार में गणेश राम सिन्हा जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा के साथ ही जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को भी हमारे साथ शेयर किया। आशा करते हैं कि पाठकों को लेखक गणेश राम सिन्हा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

‘छत्तीसगढ़ महतारी - तोर माटी हे फुलवारी’ कविता संग्रह के लेखक प्रोफेसर गणेश राम सिन्हा जी से साक्षात्कार

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?

गणेश राम सिन्हा : नमस्ते। मेरा नाम प्रोफेसर गणेश राम सिन्हा है। वर्तमान मे मैं इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, बैंगलोर (IIITB) मे एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हूँ। इसके पूर्व पड़ोस के देश म्यांमार मे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सहयोग से एक विश्वविद्यालय मे करीब 4.5 वर्षों तक, अध्यापन कार्य की सेवाएं दे रहा था। मेरा बैकग्राउंड एक ग्रामीण अंचल से है। एक मजदूरी करने वाले परिवार में मेरा जन्म हुआ और उसके बाद विवेकानंद आश्रम में रहते हुए मेरी पढ़ाई-लिखाई संपन्न हो पाया। NIT मे बीटेक, एमटेक, फिर पीएचडी करने के बाद करीब 23 सालों से अध्यापन कार्य में लगा हुआ हूँ। शिक्षण के अलावा शोध कार्य और फिर लेखन कार्य, कविताओं को लिखना, समाचार पत्रों के लिए लेख लिखना और कुछ किताबें लिखना, यह मेरी रुचि में शामिल है, और खासकर ग्रामीण अंचल के जो प्रतिभावान और गरीब बच्चे है उनके लिए कुछ करने के लिए हमेशा तत्पर रहता हूँ और सेवाएं देते रहता हूँ।

Buuks2Read : आपकी पहली पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

गणेश राम सिन्हा : जी धन्यवाद। वैसे तो करीब तीन पाठ्यपुस्तक और करीब 24 से 25 Edited किताबों मे मैं काम कर चुका हूँ। हालांकि, इस तरीके की ये पहली किताब है। जिसमें छत्तीसगढ़ी कविताओं का संग्रह है। छत्तीसगढ़ी में जो 24 है, उसको दो कोरी बोलते हैं। एक कोरी मतलब 12, तो 24 कविताओं का संग्रह है और ये 24 कविताएँ मेरे जीवन के सारे संघर्षों को कैसे मैं गरीबी से सारे परेशानियों को, कठिनाइयों को पार करते हुए, बिना कोई किसी के खास मदद के, मैं सारी कठिनाइयों को सामना करते हुए एक सफल मार्ग पर चलते हुए अध्यापन का कार्य कर रहा हूँ। देश-विदेश में इसके बारे में छत्तीसगढ़ के युवाओं को और देश के और भी काफी युवाओं को प्रेरित कर सकता है। कविताओं का भाव है कि आपको संघर्षों से, परेशानियों से बिल्कुल डरना नहीं है, उसको डटकर लड़ना है और आप में यदि इच्छाशक्ति हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। कुछ भी संभव है और इसीलिए 12 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मुझे प्राप्त हुआ तो और इसी भाव को मैंने 24 कविताओं के माध्यम से खासकर छत्तीसगढ़ के पाठकों के लिए प्रस्तुत किया।

Buuks2Read : आपकी पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ महतारी – तोर माटी हे फुलवारी’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

गणेश राम सिन्हा : जी धन्यवाद। छत्तीसगढ़ी में माँ को महतारी कहते हैं और फुलवारी का मतलब तो सब लोग जानते हैं। तो इन कविताओं के माध्यम से मैं छत्तीसगढ़ की माटी को माँ समान मानते हुए उनको समर्पित किया और छत्तीसगढ़ की माटी ने मेरा जीवन कैसे बदला? उस माटी का प्यार, उस माटी का आशीर्वाद मेरे जीवन को बदलने मे, मुझे सफल बनाने मे मदद की है और इसी को समर्पित करते हुए मैंने इन कविताओं को लिखा। बहुत ही अत्यंत गरीबी से गुजरते हुए, एक गरीब मजदूर वर्ग के परिवार मे जन्म होने के बाद भी आश्रम मे रहकर पढ़ाई-लिखाई करते हुए, देश-विदेश मे आज मैं अपनी सेवाएं दे रहा हूँ तो इन सभी का श्रेय मैं छत्तीसगढ़ की माटी को दिया हूँ और इस छत्तीसगढ़ महतारी तोर माटी हे फुलवारी के माध्यम से ये 24 कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ के युवाओं को प्रेरणा तो मिलेगा ही साथ ही मेरा जो समर्पण है, मेरा जो प्यार है, मेरा जो सम्मान है वो छत्तीसगढ़ महतारी व माँ के प्रति यही इस किताब का भाव है।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?

गणेश राम सिन्हा : जी, जैसा कि मैंने बताया कि मैं विवेकानंद आश्रम में रहकर अपनी पढ़ाई-लिखाई कर पाया और जब मैं आश्रम में रहता था तो वहाँ विवेकानंद की रचनाओं को, उनकी किताबों को पढ़ा करता था। वहाँ से रुचि उत्पन्न हुई, खासकर लेखन में। मैं उस समय से ही कुछ लिखने की कोशिश करता था और तब से लेकर अब तक चाहे वो किताब हो, चाहे समाचार पत्र में लेख या कुछ कविताएं हो, मैं लिखता रहता हूँ। लिखने की जो प्रेरणा है वो स्वामी विवेकानंद हैं। हालांकि मैं हमेशा कहता हूँ कि मैं जो कुछ भी हूँ, आज जीवन में, स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा के कारण ही हूँ, मेरे लिए बिल्कुल जीवंत है और मेरे लाइफ लाइन है और इसीलिए मैं कविताओं को भी जो लिख पाता हूँ, जो मैं लेख लिखा हूँ या किताबें लिखा हूँ वो केवल उसकी प्रेरणा स्वामी विवेकानंद हैं।

Buuks2Read : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?

गणेश राम सिन्हा : जी रचनाओं के संग्रह मे मुझे कोई भी परेशानी नहीं हुई। जैसा कि मैंने बताया कि यह मेरे जीवन के संघर्षों को दर्शाने के लिए मैंने इन कविताओं को लिखा है, मैंने बचपन से कैसे खेतों में जाकर काम करना, माता पिता के साथ मजदूरी में साथ देना और उसके बाद कैसे दूर के एक छोटे से नगर में साइकिल चलाते हुए स्कूल के लिए जाना? और फिर वहाँ से वापस आना तो ये सारी चीजें मेरे जीवन का हिस्सा रहा है और उसको मैंने इंगित करने का प्रयास किया है, रचनाओं के चयन में कोई परेशानी नहीं हुई। हाँ, मैं इतना जरूर कहूंगा कि जो प्राची डिजिटल पब्लिकेशन है, इनका बहुत अच्छा सहयोग रहा। इनकी जो समझ है, इनकी जो अन्डरस्टैन्डिंग है, सहयोग और कोऑपरेशन है, बहुत ही लाजवाब है। मतलब आप बोलेंगे की ये मुझे ठीक नहीं लग रहा है। इसको थोड़ा और करेक्ट कर दीजिये तो बिलकुल ही सहर्ष करते हैं, मैं तो बिल्कुल इनका हृदय से धन्यवाद करूँगा।

Buuks2Read : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?

गणेश राम सिन्हा : वैसे तो पूर्व मे मैं 25 तकनीकी किताबों का प्रकाशन और संपादन का कार्य कर चुका हूँ। लेकिन इस तरीके से साहित्य मे ये मेरी पहली साहित्यिक पुस्तक है। हालांकि मैं छत्तीसगढ़ी, हिंदी और अंग्रेजी मे काफी कविताएँ, लेख लिखता रहता हूँ। मेरे सोशल मीडिया हो या समाचार पत्र हो, उसमें लिखा करता हूँ। लेकिन इसको एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित करना, इस तरीके का एक पहला साहित्यिक प्रयास है और इस बात की मुझे बहुत प्रसन्नता है।

Buuks2Read : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?

गणेश राम सिन्हा : उम्मीद है छत्तीसगढ़ के पाठकों को छत्तीसगढ़ महतारी तोर माटी हे फुलवारी साहित्य काफी लोगों को पसंद आएगा, ऐसा मुझे विश्वास है।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

गणेश राम सिन्हा : जी, सबसे ज्यादा सहयोग मेरी पत्नी श्रीमती शुभ्रा सिन्हा, मेरी सुपुत्री कुमारी सम्प्रति सिन्हा, माता पिता का आशीर्वाद और मेरे शिक्षकों का आशीर्वाद और मेरे सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद का आशीर्वाद को मैं इस किताब का श्रेय देता हूँ और इन सभी के कारण ही किताब को मैं प्रकाशित कर पाया।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

गणेश राम सिन्हा : जैसा की मैंने बताया की तकनीकी किताबें 24 से 25 मेरी किताब है तो इन लेखन और शोध कार्य के कारण मुझे आज करीब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 से ज्यादा सम्मान प्राप्त हो चुके है। पिछले चार पांच वर्षों में जब म्यांमार मे था, विदेश मे था, वहाँ पर भी वहाँ के हिंदू समाज और बुद्ध समाज, दोनों ने मिलकर सम्मान किया क्योंकि मैं हर एक सप्ताह के अंत में उनको जा करके भाषा के बारे में ज्ञान देना, साहित्य के बारे में उनको। बताना इस तरीके से मैं अपनी छोटी सी सेवाएं देने का प्रयास करता था, जिसके लिए मुझे उन्होंने सम्मानित किया।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस भाषा में करते है? और क्या जिस भाषा में आप लेखन करते हैं उसमें लिखना आसान है?

गणेश राम सिन्हा : वैसे तो मैं तीन भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी मे लिख सकता हूँ और लिखता भी हूँ, लेकिन लंबे समय से तकनीकी क्षेत्र में अध्यापन कार्य करने के कारण अंग्रेजी में लिखना ज्यादा होता है और इसीलिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों में अच्छे से लिख सकता हूँ, लेकिन अंग्रेजी में थोड़ा ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस करता हूँ।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

गणेश राम सिन्हा : समय का प्रबंधन मेरे लिए अत्यंत आसान कार्य है। क्योंकि मैं जब ये ठान लेता हूँ कि मुझे ये कार्य करना है, अध्यापन और शोध मेरे विश्वविद्यालय के कार्य के अलावा मेरी जो रुचि है उसमें मुझे कार्य करना है। बच्चों के लिए कुछ काम करना है, युवाओं के लिए काम करना है, उनको मोटिवेट करने के लिए कुछ काम करना है तो उसके लिए समय निकल जाता है, समय प्रबंधन मेरे लिए बिलकुल भी मुश्किल कार्य नहीं है।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

गणेश राम सिन्हा : मेरी रचनाओं की प्रेरणा जो प्रतिभावान और गरीब बच्चे है, और कैसे गांव में लोग रहते हैं? मैं अपने खुद के जीवन को देखता हूँ तो इससे मुझे खुद अपने आप प्रेरणा मिलती है और मुझे रचनाओं को लिखने में उर्जा मिलती है।

Buuks2Read : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

गणेश राम सिन्हा : जी, जब मैं अपने गांव में एक कक्षा तीसरी में था। तो मेरे दादाजी, जो कभी स्कूल क्या होता है नहीं जानते, वो मुझे एक बार पास में एक चिकित्सालय में ले गए और वहाँ पर बोले कि मेरा जो पोता है, पढ़ने में बहुत होशियार है और कक्षा में पहला आता है तो वहाँ पर एक चिकित्सालय में एक कंपाउंडर थे। तो बोले बाबा ये कुछ नहीं होता है ये आगे चलकर देखना, अभी स्कूल में टॉप करने से कुछ नहीं होता, आगे कुछ नहीं कर पायेगा। मैं जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता था, तो जब गांव से शहर में ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाता था।

फिर कुछ सालों के बाद अध्यापन कार्य के बाद शिक्षण कार्य करने लग गया, जब मुझे सिंगापुर में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक विशेष वक्ता के रूप में बुलाया गया, पांच सितारा होटल में रुकने की व्यवस्था, आने-जाने के लिए हवाई जहाज की व्यवस्था फिर उसके बाद कुछ सम्मान के रूप में कुछ डॉलर देना तो ये जो मेरी ये जो घटनाएं थी मुझे लगा कि नहीं यदि आप अपने आप में इच्छाशक्ति है और माँ-बाप और अपने परिवार को गौरवान्वित करके समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं, राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते हैं तो संभव है। और ये बड़ा यादगार हुआ।

मैंने कभी जीवन में नहीं सोचा था कि मैं कभी हवाई जहाज में भी जाऊंगा। मैं तो सोचता था मेरे पास एक मोटरसाइकिल हो जाये। कभी नहीं सोचा था कि हवाई जहाज मे चढ़ना को मिला और ऐसा हुआ कि आज हवाई यात्रा ही करने को मिलती है और जब मैं उस समय गया तो हवाई यात्रा से गया, सिंगापुर में गया। पहली बार विदेश गया और मुझे विशेष वक्ता के रूप में बुलाया गया और काफी सम्मान किया गया। करीब आठ से 10 देश के लोग वहाँ पर सुनने के लिए आए थे कॉन्फरेन्सस मे और मैं एक विशेष वक्ता था तो ये मेरे लिए बहुत ही यादगार घटना है और मुझे लगता है कि इन सब चीजों से हमें सीखने की जरूरत है। हर व्यक्ति मे, हर बच्चे मे उतनी ही प्रतिभा है जितनी बाकी बच्चों में है। केवल मौका मिलना चाहिए, फिर प्रतिभा खुद ही उभर आता है।

Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

गणेश राम सिन्हा : मेरे आदर्श केवल स्वामी विवेकानंद हैं और उनकी कोई भी किताबें हों, उनका कोई भी विचार हो, उनकी कोई भी रचना हो, रचनाकर्ता कोई भी हो, मेरे आदर्श स्वामी विवेकानंद हैं और उनकी रचनाओं को ही मैं पढ़ता हूँ और अनुसरण करने का प्रयास करता हूँ।

Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

गणेश राम सिन्हा : हाँ जी, देखिये हिंदी हमारी मातृभाषा है और जो भी मातृभाषा प्रेमी हैं उनको अपने विचारों को, अपने संस्कृति को, अपने समाज के बारे में, अपने अच्छे विचारों के बारे में जो भी प्रेरणादायी चीजें हैं अपनी संस्कृति से जुड़ा अपने समाज से जुड़ा, उनको अभिव्यक्ति करना चाहिए। हमारी अभी जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आया है, भारत सरकार का उसमें भी मात्र भाषा पर बहुत ज़ोर दिया गया है। तो हमें लगता है कि हिंदी प्रेमी है ना कि भारत में, बल्कि भारत से बाहर भी बहुत हिंदी प्रेमी है जब आप विदेश में जाएंगे, तो भला ही आप किसी भी क्षेत्र से, वो सबसे पहले नमस्ते करके ही आपका स्वागत करते हैं और इसीलिए जो मातृभाषा है जिनकी भी हिंदी उनको अपनी अभिव्यक्ति ज्यादा से ज्यादा हिंदी में करना चाहिए।

Buuks2Read :साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

गणेश राम सिन्हा : इम्प्लॉयबिलिटी कैसे रोजगार पूर्वक लोगों में स्किल डेवलप हो, कैसे युवाओं को प्रेरित कर सकें, कैसे उनको मोटीवेट कर सके तो इन पर मैं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उद्बोधन और व्याख्यान देते रहता हूँ। इसमें मेरी बड़ी रुचि है।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?

गणेश राम सिन्हा : अंग्रेजी में किताब आने वाली है जिसका मैं अभी लेखन कार्य कर रहा हूँ जिसका शीर्षक है ‘जीरो टू हीरो विथ स्वामी विवेकानंद’।

Buuks2Read : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

गणेश राम सिन्हा : मैं तो बहुत देख साधारण शिक्षक हूँ, साधारण सा प्रोफेसर हूँ तो मैं सलाह तो नहीं दे सकता, लेकिन मुझे लगता है कि आजकल टेक्नोलॉजी का ज़माना है और अपनी रुचि को टेक्नोलॉजी के साथ कैसे कंबाइन करके लिख सके और एक नए तरीके से नूतन बना होना चाहिए। अपने लेख में या अपनी रचनाओं में मुझे लगता है नवीनता सबसे बड़ी एक पहचान होनी चाहिए।

Buuks2Read : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

गणेश राम सिन्हा : जी, सदैव मुझे बहुत रुचि है और मुझे लगता है मैं पूरा जीवन पर्यंत लेखन कार्य में लगा रहूंगा।

Buuks2Read : गणेश राम सिन्हा जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

गणेश राम सिन्हा : मैं सभी का धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूंगा। सबको आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि आप लोगों का प्यार और आप लोगों का आशीर्वाद, आप लोगों का स्नेह मिलता रहे और आप कभी भी मेरी रचनाओं के बारे मे, अपने अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, अपना फीडबैक दे सकते हैं जिससे मुझे और अच्छा करने के लिए मौका मिलेगा। मैं फिर से आप सब लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा।

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