काव्य संग्रह ‘पद्य प्रसून’ के लेखक अशोक कुमार शर्मा जी से साक्षात्कार

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Buuks2Read को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए राजस्थान से अशोक कुमार शर्मा जी का धन्यवाद करते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अशोक कुमार शर्मा जी का एक काव्य संग्रह ‘पद्य प्रसून’ पिछले दिनों ही तनीशा पब्लिशर्स से प्रकाशित हुआ है। बताते चलें कि इससे पूर्व भी अशोक कुमार शर्मा जी की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं और कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं। पेशे से एक शिक्षक अशोक कुमार शर्मा जी ने Buuks2Read को साक्षात्कार के दौरान अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों एवं साहित्यिक सफर को बहुत सुंदर शब्दों में बयां किया है। आशा करते हैं कि पाठकों को अशोक कुमार शर्मा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

Interview with Ashok Kumar Sharma

Buuks2Read : आप किस तरह की रचनाएं लिखना पसंद हैं?

Ashok Kumar Sharma : मैं एक साधारण से व्यक्तित्व वाला लेखक हूँ। मेरा विद्रोह समाज परिवार और देश में बदल रही विचार धारा दमघोंटू जीवन शैली से है। इसका कारण सामाजिक भेदभाव, चाटुकारी राजनीति, खराब आर्थिक और वर्तमान परिस्थितियाँ हैं तथा धर्म पर आधारित राजनीति की दुकान चलाने वालों से भी मेरा कहना है कि राष्ट्र के साथ गद्दारी करना अनुचित है। जिस कारण मेरी रचनाएं समाज का अहित करने वाले के खिलाफ विद्रोही भाव लिए होती हैं।

Buuks2Read : लेखन करने के लिए प्रेरणा कैसे मिली?

Ashok Kumar Sharma : दैनिक जीवन एवं व्यक्तिगत जीवन में घटित घटनाओं व समाज में मूल्यहीनता एवं सांस्कृतिक विचारधाराओं, राजनीतिक विद्रूपताओं ने समाज को हासिये पर लाकर मूल्यों का‌ स्वरूप बिगाड़ा है। इन्हीं सब कारणों से विद्रोह की उपज हुई और सृजनात्मकता का भाव जाग्रत हुआ।

Buuks2Read : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ,इसके बारे में बताएं?

Ashok Kumar Sharma : ‘काव्य मंजरी’ मेरा पहला सृजन है। मैंने शिक्षा पूर्ण कर अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया था। लगभग पच्चीस वर्षों से स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्राध्यापन कार्य किया। सर्वप्रथम कहानी संग्रह “एक बीमार सौ अनार” मेरी प्रथम अप्रकाशित पांडुलिपी थी,उस समय आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं थी। जिस कारण इसे प्रकाशित नहीं किया जा सका, अफसोस है कि पांडुलिपि भी खो गयी। दो हजार इक्कीस से निरन्तर पढ़ा और लिखा, काव्य, उपन्यास और कहानियां लिखता रहा। मुझे समाज, परिवार तथा कार्य क्षेत्र में साथियों द्वारा दी गई प्रताड़ना ने विद्रोही बना दिया, जिस कारण मैं अपने नाम के आगे उपनाम ‘विद्रोही’ भी लिखता हूँ।

Buuks2Read : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

Ashok Kumar Sharma : सर्वप्रथम श्री हनुमानजी की कृपा है, उनके बाद धर्मपत्नी श्रीमती कृपा शर्मा, ज्येष्ठ पुत्र नितिश व अनुपम शर्मा का सहयोग व समर्थन रहा। मित्र तो नहीं है, भाई जैसे डॉ. मृत्युंजय कुमार तिवारी का बहुत सहयोग मिलता है।

Buuks2Read : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

Ashok Kumar Sharma : सर्वप्रथम तो आत्मश्लाघा से सृ‌जनशीलता का सम्बन्ध प्रगाढ़ नहीं हो सकता, पुरस्कार कोई नहीं मिला न प्रयास किया है और भविष्य में क्या होगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।

Buuks2Read : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?

Ashok Kumar Sharma : अब तक काव्य में अधिक लिखा है। उपन्यास और कहानी, ज्योतिष शास्त्र में वर्णित सिद्धान्त पर फलादेश गोचर आदि पर बृहज्जातकम् रामचरितमानस में ज्योतिषीय दृष्टिकोण भी लिखता हूँ।

Buuks2Read : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

Ashok Kumar Sharma : लिखने के लिए एकांतवास चाहिए होता है, जिस कारण मेरे लिए रात्रि में लिखना सबसे अधिक उचित समय रहता है।

Buuks2Read : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

Ashok Kumar Sharma : प्रेरणा की बात करें तो हर वक्त नया देखा, पढ़ा और सुना, उसे अंतर्मन से विचार किया और लिखा। मेरा जीवन संघर्ष ही मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

Buuks2Read : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

Ashok Kumar Sharma : सफल गृहणी, आज्ञाकारी योग्य संतान जो कि भाग्यशाली को ही मिलते हैं। कई घटनाओं ने अंदर से झकझोरा है, तब इन्होंने ही मुझे मजबूती प्रदान की। यह मेरे जीवन में मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

Ashok Kumar Sharma : प्रसाद, प्रेमचंद, मोहन राकेश पंत, दिनकर और निराला का सम्पूर्ण साहित्य मेरे मन में पूज्य भाव लिए हुए है। पुस्तक श्री रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता, कामायनी, यशपाल का झूठा सच आदि को पढ़ना पसंद करता हूँ।

Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

Ashok Kumar Sharma : संस्कृत भाषा के बाद कोई भाषा है जो राष्ट्र को एक सूत्र ने बांधने में सफल है वह हिन्दी ही है। यह गर्व की बात है कि हिन्दी भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की सिरमौर भाषा बनती जा रही है और इसे सीखना सरल है। हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए, क्योंकि सम्पूर्ण राष्ट्र को एकीकृत कर समन्वय स्थापित करने में समर्थ है। साहित्य जीवन में सृजनात्मक गति प्रदान करता है। साहित्यकार समाज का श्रेष्ठा होता है। हिन्दी साहित्य मंच पर मौजूद साहित्यकार प्रबुद्ध वर्ग तक सीमित न रहकर ग्रामीण शहरी परिवेश नौकरशाही एवं राजनीतिक परिदृश्य का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करे। सोए हुए प्रशासन की नींद खोले।

Buuks2Read : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

Ashok Kumar Sharma : ज्योतिष शास्त्र, आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा मानस रंजन रूप का ध्यान। न शौक है, न कमाने का जरिया, मन में उत्पन्न विचारोंक्ति व्यक्त करते हैं। जिनमें कहीं न कहीं समाज का कल्याण संभव हो सकता है।

Buuks2Read : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं?

Ashok Kumar Sharma : अतिशीघ्र श्री रामचरितमानस में ज्योतिषीय दृष्टिकोण पुस्तक प्रकाशित होने वाली है।

Buuks2Read : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

Ashok Kumar Sharma : सलाह तो क्या दें, लेकिन मेरा विचार है कि सही यथार्थ चित्रण करना‌ आवश्यक है।

Buuks2Read : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

Ashok Kumar Sharma : इसमें कोई संदेह है क्या? जब तक रहेगी सांस लिख दूंगा इतिहास।

Buuks2Read : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

Ashok Kumar Sharma : मेरा एक ही सन्देश है ऊर्जा उमंग और उत्साह आत्मविश्वास से बढ़ना। शुरूआत में कठिनाईयां आएंगी हार नहीं माननी है।

लेखक की पुस्तक को खरीदें

आप लेखक अशोक कुमार शर्मा जी की पुस्तक को अमेजन एवं फ्लिपकार्ट से प्राप्त कर सकते हैं।


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