Buuks2Read को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए अभिषेक कुमार अभ्यागत जी का धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि अभिषेक कुमार अभ्यागत जी का एक काव्य संग्रह ‘सड़क पर के लोग’ पिछले दिनों ही Prachi Digital Publication से प्रकाशित हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत अभिषेक कुमार अभ्यागत जी ने Buuks2Read को साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को अभिषेक कुमार अभ्यागत जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
Buuks2Read : नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
Abhishek Kumar Abhyagat : जी नमस्कार ! मैं आपका तथा आपके प्राची डिजिटल पब्लिकेशन समूह को ह्रदय तल से धन्यवाद देता हूं कि आपने मेरी पांडुलिपि ‘सड़क पर के लोग’ को सुधि पाठक जन के बीच पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया। मैं अपना परिचय देते हुए बस इतना कहूंगा कि मेरा जुड़ाव बचपन से ही हिंदी साहित्य से रहा है। हिंदी की कविता हो,कहानी हो, नाटक हो, उपन्यास हो मैं अपने खाली समय में हमेशा पढ़ता आया हूं। मेरा तो मानना है कि पुस्तक से अच्छा आपका कोई मित्र नहीं बन सकता।
मेरा जन्म बिहार प्रांत की धरती पर ग्राम डेहरी-ऑन-सोन, जिला रोहतास में एक शिक्षक परिवार में हुआ। मेरी दादी आजादी के कुछ ही वर्ष बाद मध्य विद्यालय में एक शिक्षिका के रूप में प्रतिनियुक्त हुई। घर का माहौल पूर्णता शिक्षायुक्त था। हमारे परिवार में दादा-दादी की एक ही संतान मेरे पिताजी थें। घर में मेरे दादाजी, पिताजी के जन्म के पूर्व ही देहावसान को प्राप्त हो चुके थें । दादी विविध कठिनाइयों एवं झंझावात के बीच मेरे पिताजी का लालन-पालन करते हुए एक शिक्षिका नियुक्त हुई थी। बाद में मेरे पिताजी भी हिंदी विषय में शिक्षक नियुक्त हुए। मेरे पिताजी हिंदी, संस्कृत, उर्दू तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकारों में से एक थें। कुछ अखबारों में संपादकीय लिखा करते थें। शुरू के दिनों में उन्हीं के सप्ताहिक अखबार तूफान में मेरी एक कविता ‘कांव-कांव’ छपी। वह मुझे हिंदी साहित्य को लेकर मुझे हमेशा मार्ग निर्देशित करते रहते थें। हिंदी की वर्तनी और उच्चारण को लेकर वह हमेशा मुझसे चर्चा किया करते थें।
वह बाद के दिनों में मेरी दादी के कहने पर शिक्षक की नौकरी छोड़कर वकालत की पढ़ाई कर कर अधिवक्ता हो गए। वह एक वरीय अधिवक्ता के रूप में अंतिम सांस तक कार्य करते रहें, लेकिन उनका साहित्य से जुड़ाव हमेशा से रहा। वह कवि सम्मेलनों में अक्सर जाया करते थें।हिंदी साहित्य में बहुत कुछ मुझे अपने पिता से विरासत के रूप में मिला है जो मेरे लिए अविस्मरणीय है।
Buuks2Read : आपकी एक पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
Abhishek Kumar Abhyagat : मेरी पुस्तक ‘सड़क पर के लोग’ मेरी पहली एकल काव्य संग्रह है। इससे पूर्व मेरी कुछ संयुक्त काव्य पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। मेरी यह पुस्तक अब तक के जीवन के मिश्रित अनुभवों को दर्शाता है। जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव, छुए-अनछुए संवेदनाएं, प्रकृति के लालित्य के साथ-साथ बदलते मानवीय विचारधारा की कहानी को काव्य रूप में गुम्फित करने का मैंने एक जटिल प्रयास किया है। यह प्रयास कितना सार्थक, कितना उपयोगी तथा कितना सामाजिक मूल्यों को सहेज पाया है, इसका निर्धारण पाठक करेंगे। इस काव्य पुस्तक की प्रत्येक कविता समाज एवं व्यक्ति के बीच की आंतरिक एवं बाह्य घटनाओं को रेखांकित करती है।
Buuks2Read : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
Abhishek Kumar Abhyagat : इस पुस्तक के प्रकाशन से पूर्व मेरी कुछ किताबें प्रकाशित हो चुकी थी। मेरी पहली पुस्तक सन् 2018 में ही प्रकाशित हो चुकी थी। इस प्रकार मैं प्रकाशन से जुड़ा रहा। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी लेखक या कवि अपने आसपास के वातावरण तथा समाज से प्रभावित होकर लिखता है। इसलिए कवि की कोई भी रचना पर अधिकार कवि या लेखक से ज्यादा समाज तथा वातावरण का होता है। जहां से वह प्रेरणा प्राप्त कर एक कालजयी कृति को जन्म देता है। कुछ मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मुझे लिखने का विचार एवं प्रेरणा इसी वातावरण तथा समाज से मिला।
Buuks2Read : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
Abhishek Kumar Abhyagat : मैंने लगभग अब तक 200 से भी अधिक कविताएं लिखी है। ‘सड़क पर के लोग’ काव्य पुस्तक के लिए उन्हीं कविताओं का चयन किया है, जो मेरे लेखन काल के प्रारंभिक दिनों की थी।मैंने कुछ कविताएं बाद की भी उसमें रखी है, परंतु अधिकतर रचनाएं मेरी प्रारंभिक काल की है। प्रकाशन को लेकर मेरी कई प्रकाशक से बात हुई थी, परंतु कोरोना काल में मैंने प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से मेरी एक साझा काव्य पुस्तक ‘काव्य प्रभा’ प्रकाशित हुई थी। जिसे सुधा सिंह व्याध्र जी ने संपादित किया था। मुझे प्राची डिजिटल पब्लिकेशन का कार्य बहुत अच्छा लगा था। इसलिए मैंने प्राची डिजिटल पब्लिकेशन को पुस्तक प्रकाशन का भार सौंपा। मेरे साथ इस पब्लिकेशन का कार्य अबतक संतोषजनक रहा है।
Buuks2Read : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं।
Abhishek Kumar Abhyagat : मेरी पहली सृजित रचना सप्ताहिक अखबार तूफान में प्रकाशित कविता ‘कांव-कांव’ थी। उस वक्त मैं कक्षा नवीं का छात्र था। साहित्य जगत में मेरा आगमन मेरे बचपन से हिंदी के प्रति असीम लगाव का प्रतिफल है। बचपन में रहीम के पद को पढ़ने को मिला जो इस प्रकार था-
“रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब बाटि ना लैहै कोय।।”
रहीम का यह पद मेरे बाल मन पर ऐसा प्रभाव डाला कि मैं धीरे-धीरे बहुत सी बातें मन में रखने लगा। भीतर-ही-भीतर उसे गुनता। इसी क्रम में रहीम, कबीर, प्रेमचंद जैसे कई लेखकों को, कवियों को, संतो को पढ़ने लगा और साहित्य के विशाल उर्वरक भूमि पर अपने लिए जगह तलाशने लगा।
उच्च माध्यमिक कक्षा में आने के बाद धीरे-धीरे हिंदी मेरी आत्मा का विषय बनने लगा और हिंदी में मेरी एक खोज शुरू हो गई जो अब तक मेरे भीतर हिंदी की खोज जारी है।
Buuks2Read : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
Abhishek Kumar Abhyagat : यह आपका प्रश्न मेरे लिए बहुत ही जटिल है, क्योंकि एक रचनाकार के लिए यह तय करना बड़ा ही कठिन हो जाता है कि कौन सी रचना पर सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। शुरू के दिनों में, मैं अक्सर प्रत्येक रचना को मित्र मंडली या परिवार के सदस्यों को सुनाता था। सभी पर मुझे समान रूप से प्रतिक्रिया मिलती थी। यदि बात करें राजनीति की तो, राजनीति को केंद्र में रखकर जो कविताएं मैंने लिखी जैसे कि – ‘सियासत’, ‘राम भगवा नहीं भगवान हैं’, ‘शासन के सारथी’, ‘देश राजनेता और राजनीति’ उस पर पाठक वर्ग, मित्र मंडली तथा परिवार के सदस्यों से ज्यादा प्रतिकूल प्रतिक्रिया मिली है। जिस पर सामान्य वाद-विवाद पर भी मेरी उस कविता की चर्चा होनी शुरू हो जाती है।
Buuks2Read : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
Abhishek Kumar Abhyagat : साहित्य सृजन के दौरान मुझे सबसे ज्यादा सहयोग मेरे दो अभिन्न मित्र धीरज कुमार यादव और किशन कुमार जी से मिला है। दोनों में अलग-अलग विशेषताएं थीं। पहली विशेषता यह है कि दोनों हिंदी विषय के थें। दूसरी विशेषता यह थी कि जहां धीरज जी की हिंदी व्याकरण तथा हिंदी वर्तनी पर विशेष पकड़ थी। वहीं पर किशन जी की हिंदी साहित्य में विद्यमान कवि, लेखक, नाटककार, समीक्षाकार,निबंधकार आदि विद्या में रचना करने वाले रचनाकारों के विभिन्न पुस्तकों का संकलन विधमान था। उन्होंने मेरी जिज्ञासा को देखते हुए उससे संबंधित रचनाकारों की पुस्तक समय-समय पर मुझे पढ़ने को दी। वही साहित्य लेखन में जहां धीरज जी ने स्त्रीलिंग, पुलिंग, शुद्ध-अशुद्ध की बारीकियों से मुझे अवगत कराया। मैं आज भी कोई लेख या रचना लिखता हूं तो धीरज जी को एक बार पढ़कर करेक्शन करने की बात करता हूं। मेरी हिंदी साहित्य के प्रारंभिक विकास में इन दोनों का योगदान अविस्मरणीय है।
Buuks2Read : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
Abhishek Kumar Abhyagat : साहित्य तो आकाश की भांति है। इसकी कोई सीमा ही नहीं है, और मैं इस साहित्याकाश में एक लघु तारिका के समान हूं। अभी मुझे बहुत से काम साहित्य के क्षेत्र में करना है। उपलब्धियों की बात करें तो सोशल प्लेटफॉर्म पर कुछ साहित्यिक समूह हैं जो साहित्यिक प्रतियोगिता कराते हैं। उन्हीं के द्वारा कुछ सम्मान प्राप्त किया है मैंने। मैं स्वयं को अभी साहित्य जगत में एक दंतुरित बालक की भांति देखता हूं। जिसे साहित्य के भीमाकाश में अभी बहुत कुछ सीखना और करना बाकी है।
Buuks2Read : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विधा में करतें है? और क्या इस विधा में लिखना आसान है?
Abhishek Kumar Abhyagat : ऐसे तो मैं एक विधा में नहीं लिखता हूं। लगभग कई विधा में लिखता हूं। ‘किसके सहारे’ मेरी यह पुस्तक नाट्य विधा पर थी। कविता, कहानी, नाटक, समीक्षा, निबंध जैसी विधाओं पर लिख चुका हूं। मैंने जापानी विधा ‘हाइकु’ में भी कुछ लिखा है। मन के आकाशांचल पर जिस तरह का चित्र उभरता है, उस विधा पर लिखना एक लेखक के लिए आवश्यक हो जाता है।कवि निराला से लेकर बाबा नागार्जुन तक ऐसे उदाहरण हैं, जो कहानी, उपन्यास एवं कविता जैसी विधाओं पर काम कर चुके हैं। लेकिन आप जब पूछ रहे हैं, तो बताना चाहूंगा कि मैं सबसे ज्यादा नाटक एवं कविता विधा में लिखता हूं। मेरे भीतर बैठा आदमी (लेखकीय विचार) वह इस विधा में लिखना अधिक आसान समझता है।
Buuks2Read : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
Abhishek Kumar Abhyagat : देखिए साहित्य एक विचार है और कोई विचार कब, कहां, और कैसे आपके मन में आ जाए यह कहा नहीं जा सकता है। फिर भी; कुछ आप लिखना चाह रहे हैं तो, समय का प्रबंधन तो करना ही पड़ता है। क्योंकि आप हर समय या कहीं भी बैठकर नहीं लिख सकते हैं। हां! एक काम होता है कि हम उसे कहीं रफली नोट कर लेते हैं। बात मेरी की जाए तो मैं संध्या में सब कामो से निवृत्त होकर एकांत में अपने कमरे में बैठकर लिखता हूं या रात्रि के नीरवता में।
Buuks2Read : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?
Abhishek Kumar Abhyagat : मैं अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा अपने जीवन की परिस्थितियों से प्राप्त करता हूं। एक बात तो है मेरे जीवन में बचपन से ही मेरे साथ आम जीवन से थोड़ा अलग घटनाएं घटती रही हैं। सच्चे अर्थों में यदि मुझे लेखक या कवि किसी ने बनाया है तो, वह है मेरे जीवन में होने वाली घटनाओं से उपजी परिस्थितियां।
Buuks2Read : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
Abhishek Kumar Abhyagat : मेरे जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि मेरा साहित्य है। मैं अपने भीतर के साहित्य को यथार्थ एवं जीवट बनाने के लिए हमेशा उच्च कोटि के साहित्यकारों को पढ़ते रहा हूं। जो यादगार घटनाएं हैं। वह है मेरे द्वारा प्रथम रचित एवं निर्देशित भोजपुरी नाटक ‘पाॅलीवुड का हीरो’ इस नाटक की अपार सफलता ने मेरे अंतःकरण में हिंदी साहित्य का बीज बो दिया। यह नाटक मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि साहित्य लिखने एवं पढ़ने का बल एवं प्रेरणा यहीं से प्राप्त हुई। आज उसकी परिणति है कि मैं आपको हिंदी साहित्य पर अपना साक्षात्कार दे रहा हूं।
Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
Abhishek Kumar Abhyagat : परिस्थिति और हालात व्यक्ति के आइडियल होता है क्योंकि, लेखक जो कुछ भी लिखता है वह इन्हीं से प्रभावित होकर। शोक गीत, हर्ष गीत, प्रेम गीत, ग्राम गीत यह उदाहरण है। मेरा भी आइडियल समय और परिस्थिति ही है। पसंदीदा किताबों के तौर पर मैं मोहन राकेश के नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’, एच.एन. राम कृत ‘दुर्योधन अभी मरा नहीं’ तथा श्रीमद्भागवत गीता अक्सर पढ़ता हूं। शैलेश भारती द्वारा गीता का अनुदित वाचन मैं अक्सर यूट्यूब पर सुनता हूं।
Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Abhishek Kumar Abhyagat : भाषा संप्रेषण का सशक्त माध्यम है। हिंदी भाषा हमारे संप्रेषण की अभिव्यक्ति है। साहित्य तो मानव सत्ता का अध्ययन है।साहित्य हमें विवेकशील बनता है। हिंदी साहित्य का उत्थान आज बहुत हुआ है। स्कूल से कॉलेज, कॉलेज से विश्वविद्यालय तक हिंदी की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है। समस्या प्रधान विषय पर लिखने वाले बहुत कुछ लिख रहे हैं।
Buuks2Read : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Abhishek Kumar Abhyagat : साहित्य सृजन के अलावा मेरा शौक संगीत सुनना है। मैं अपने खाली समय में विविध संगीत सुनता हूं। संगीत ने मेरे भीतर के साहित्य का परिमार्जन किया है। क्योंकि, मैं संगीत सुनते-सुनते हिंदी साहित्य की ओर उन्मुख हुआ हूं।
Buuks2Read : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Abhishek Kumar Abhyagat : हां! भविष्य में किताब लिखने या प्रकाशित कराने की मेरी योजना है। मेरी अगली पुस्तक कहानी विधा पर आधारित है। जो अभी प्रकाशनाधीन है।
Buuks2Read : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
Abhishek Kumar Abhyagat : जी हां! आज सोशल मीडिया का दौर है। कई सोशल प्लेटफॉर्म है। जहां पर साहित्य देखने और पढ़ने को मिलता है। नए लेखक-लेखिका इस प्लेटफार्म पर ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं। साहित्य कोई जल्दबाजी का विषय नहीं है। यह गहन अध्ययन का विषय है। और, आपके साहित्य में आपने कितना होमवर्क किया है। यह आपके द्वारा रचित रचना से दिख जाता है। साहित्य सस्ती लोकप्रियता का विषय नहीं है। साहित्यकार को सस्ती लोकप्रियता से बचने की जरूरत है। साहित्य के जिस विधा में रचना कर रहे हैं। उस विधा से जुड़े पूर्व के साहित्यकारों की पुस्तक या उनका विचार हमें अवश्य पढ़ना चाहिए। एक कालजई रचना और एक चलंत रचना की आयु में बहुत बड़ा अंतर होता है। इस अंतर को नए लेखकों को समझना चाहिए।
Buuks2Read : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
Abhishek Kumar Abhyagat : हां! मैं भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहता हूं। समाज में व्याप्त अभी बहुत विषय है, जिस पर अभी लिखा जाना चाहिए। मैं उन विषयों पर बहुत कुछ लिखना चाहता हूं, और लिख भी रहा हूं।
Buuks2Read : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
Abhishek Kumar Abhyagat : मैं अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए यह कहना चाहता हूं कि व्यक्ति को हमेशा पढ़ते रहना चाहिए। जिस प्रकार एक अच्छा स्रोत एक अच्छा वक्ता होता है। ठीक वैसे ही एक अच्छा पाठक एक अच्छा रचनाकार होता है। पुस्तक सबसे सुंदर मित्र होता है। हम किताबों के माध्यम से ही समाज को करीब से जान सकते हैं। हमारे जीवन के भटकाव का ठहराव है पुस्तक। इसलिए मैं अपने शुभचिंतकों, पाठकों एवं प्रशंसकों को एक अच्छा पाठक बनने का सलाह देता हूं।
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