काव्य संग्रह ‘एहसास के गुँचे’ की लेखिका अनीता सैनी जी से साक्षात्कार

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काव्य संग्रह 'एहसास के गुँचे' की लेखिका अनीता सैनी जी से साक्षात्कार

पिछले दिनों Buuks2Read द्वारा ‘एहसास के गुँचे‘ काव्य संग्रह की लेखिका अनीता सैनी जी से साक्षात्कार किया गया। अनीता जी का काव्य संग्रह मार्च, 2020 में प्रकाशित हुआ है। आपने बहुत कम समय में ब्लॉगिंग दुनिया में अच्छी पहचान बनाई है और उन्होने एक कदम आगे बढ़ते हुए काव्य संग्रह प्रकाशित कर अपने शुभचिन्तकों एवं पाठकों को बेहतरीन तोहफा दिया है। इस कदम की उनके शुभचिन्तकों द्वारा तहेदिल से स्वागत भी किया गया। Buuks2Read की ओर से भी अनीता सैनी जी को उनके पहले काव्य संग्रह की ढ़ेरों शुभकामनाएं और हम उनके काव्य संग्रह की सफलता की कामना करते हैं। हमने अनीता जी से बहुत सारी बातें की, पेश है उनके साथ वार्ता के कुछ अंश-

Buuks2Read – अनीता जी, ब्लॉग दुनिया में आपकी पहचान किसी से छिपी हुई नहीं है लेकिन किताबों की दुनिया में आपका पहला क़दम है इसलिए यदि आप अपने शब्दों में सम्मानित पाठकों को अपना परिचय देंगीं तो पाठक आपके बारे में बहुत कुछ जान पाएँगे?
अनीता सैनी – मेरा जन्म राजस्थान के झुंझनूं ज़िले में एक कृषक परिवार में हुआ। अब मैं जयपुर में रहकर लेखन एवं अध्यापन कार्य से जुड़ी हूँ। मैं एक अध्यापिका हूँ। हिंदी और कम्प्यूटर साइंस पढ़ाती हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी हूँ जिसमें शासकीय अधिकारी से लेकर खेती-किसानी, व्यवसाय आदि से जुड़े पारिवारिक सदस्य हैं। हाई स्कूल तक मैंने नियमित शिक्षा प्राप्त की तदुपरांत अनौपचारिक तरीक़ों (दूरस्थ शिक्षण प्रणाली ) से शिक्षा प्राप्त की। पढ़ने-लिखने का बचपन से ही शौक़ था जो निरंतर बढ़ता ही चला गया। अब अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ ब्लॉग (गूँगी गुड़िया एवं अवदत अनीता) के माध्यम से स्वतंत्र लेखन जारी है। सामूहिक ब्लॉग ‘चर्चामंच’ पर नियमित चर्चाकार हूँ।

Buuks2Read – किसी भी लेखक के लिए उसकी पहली पुस्तक बहुत ही मायने रखती है और उसके प्रकाशन की ख़ुशी अलग ही होती है, क्या आप उसे शब्दों में बता सकती हैं?
अनीता सैनी – आपका सवाल मेरी ख़ुशी को और अधिक बढ़ानेवाला है। मैं बहुत ख़ुश हूँ अपने लेखन को पुस्तक के रूप में पाकर। ‘एहसास के ग़ुंचे’ के प्रकाशन ने मुझे राइटर से ऑथर बनने के मक़ाम तक पहुँचाया है। जैसे किसान को अपनी लहलहाती फ़सल देखकर सुकून मिलता है कुछ वैसा ही एहसास मुझे भी अपनी पहली पुस्तक साकार रूप में पाकर हुआ। अब मैं अपना सृजन कॉपीराइट एक्ट के तहत सुरक्षित करके एकदम निश्चिन्त हूँ। गूगल सर्च में विभिन्न वेबसाइट पर पुस्तक की उपलब्धता मन को हर्षित करनेवाली है।

Buuks2Read – अनीता जी, आपकी प्रथम प्रकाशित पुस्तक का नाम ‘एहसास के ग़ुंचे’ है, नामकरण के पीछे क्या ख़ास वजह या प्रेरणा रही है?
अनीता सैनी – इस विषय में मेरा मानना है कि पुस्तक का नामकरण आकर्षक तो हो ही साथ में शीर्षक पुस्तक के अंदर की पठन सामग्री के बारे में भी पर्याप्त संकेत देनेवाला भी हो। ‘ग़ुंचे’ अर्थात कलियाँ जो खिलकर फूल बनते हैं। चूँकि साहित्य जगत में मैं एक नवोदित लेखिका हूँ अतः अपने एहसासों (उर्दू में कहें तो एहसासात) को कलियों जैसा सुकोमल पाया जो आगे फूल बनकर खिलेंगे तो महकेंगे भी अतः यही नाम मुझे नामकरण का निर्णय करते हुए उपयुक्त लगा। मेरे सृजन में हिंदी, संस्कृत, राजस्थानी, देशज शब्दावली के साथ-साथ उर्दू भाषा के शब्दों (यानी अल्फ़ाज़) को भी पर्याप्त स्थान मिला है।

Buuks2Read – अनीता जी, पुस्तक प्रकाशन के लिए आपका विचार कैसे बना या कैसे प्रेरणा मिली?
अनीता सैनी – ‘अक्षय गौरव’ पत्रिका के एक अंक में मेरी कविता ‘ठूँठ’ प्रकाशित हुई तो बहुत ख़ुशी हुई। पत्रिका में पुस्तक प्रकाशन संबंधी विज्ञापन देखा तो ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन,’ मेरठ से पुस्तक प्रकाशन संबंधी चर्चा हुई। इस बीच आदरणीय राकेश कुमार श्रीवास्तव ‘राही’ जी का उपन्यास ‘ढाई क़दम’ प्राप्त हुआ जिसे पढ़कर मैंने भी अपने लेखन को प्रकाशित रूप में लाते हुए उसे कॉपीराइट के तहत सुरक्षित बनाने का निश्चय किया। इस प्रकार क़दम-दर-क़दम ‘एहसास के ग़ुंचे’ ने अपना सफ़र तय किया।

Buuks2Read – अनीता जी, ‘एहसास के ग़ुंचें’ के बारे में कुछ बताएँ ताकि पाठक जान सकें ताकि वे इसे पढ़ने का फ़ैसला ले सकें?
अनीता सैनी – ‘एहसास के ग़ुंचे’ मेरा प्रथम काव्य-संग्रह है जिसमें प्रेम, जीवन दर्शन, सामाजिक सरोकार, देशप्रेम, नारी-विमर्श और तात्कालिक ज्वलंत मुद्दों पर कविता के रूप में मौलिक चिंतन के माध्यम से समाज, देश, दुनिया में संवेदना का सुर बुलंद करने का प्रयास आधुनिक काव्य-शैली में किया गया है। आजकल मानवीय संवेदनाओं के सिकुड़ने का दौर है तब मानव में रही-बची संवेदनाओं को भावात्मक अपील के साथ बचाए रखने का प्रयास करना और हिंदी-उर्दू शब्दावली में अनेक प्रकार के वर्तनी दोष के संकट का सामना करते हुए मानक शब्दावली पाठक को उपलब्ध हो यह रचनाकार का कर्तव्य होना चाहिए। मैंने अपनी पुस्तक में अपनी जानकारी के अनुसार भाषा संबंधी त्रुटियों को दूर रखने का प्रयास किया है। पाठकों की रूचि भी अलग-अलग तरह की होती है अतः मैंने लोकप्रियता के पैमानों पर खरा उतरनेवाला सृजन नहीं किया है बल्कि कविता की आत्मा को बचाए रखने के लिए आवश्यक साहित्यिक पोषक तत्त्वों को उसमें समाहित करने का प्रयास किया है अतः यह तो पाठकों पर निर्भर है कि उनकी रूचि किस प्रकार की कविता पढ़ने में है।

Buuks2Read – अनीता जी, आप साहित्य लेखन में कब से सक्रिय हैं, अब तक क्या उपलब्धियाँ रहीं हैं?
अनीता सैनी – लेखन का क्रम बचपन से ही जारी है जो डायरी लेखन के रूप में चलता रहा। मई 2018 से ब्लॉग पर सक्रिय हुई तो सृजन के विभिन्न आयाम समझे और ब्लॉग जगत के लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकारों से परिचय हुआ जहाँ मेरे सृजन को सराहा गया तो लेखन में निखार लाने के लिए मनोबल बढ़ता गया। जहाँ तक उपलब्धियों का सवाल है तो मैं कहना चाहूँगी कि मेरे वश में तो निरंतर सारगर्भित सृजन के मानदंडों पर खरे उतरने का प्रयास करना है और लेखन पर ध्यान केन्द्रित करना है उपलब्धियाँ समय के साथ स्वतः जुड़तीं जाएँगीं बशर्ते सृजन की निरंतरता बनी रहे। फिलहाल तो ‘एहसास के ग़ुंचे’ ही मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि है अब इसे साहित्य जगत किस रूप में स्वीकारता है यह तो भविष्य पर निर्भर है। पुस्तक को लेकर मिल रहीं प्रतिक्रियाएँ निस्संदेह मेरा मनोबल बढ़ाने वालीं हैं।

Buuks2Read – क्या आप अपनी पुस्तक ‘एहसास के ग़ुंचें’ के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगीं?
अनीता सैनी – कोई रचना पुस्तक में प्रकाशित होने जा रही है तो सबसे पहले ख़याल आता कि उसके लिए रचना ऐसी चुनी जाय जो श्रेष्ठ हो क्योंकि छपने के बाद उसमें संशोधन हो पाना एक जटिल प्रक्रिया है जो अगले संस्करण में ही संभव है अतः रचनाओं के चयन में विशेष सावधानी बरती गई। हालाँकि रचनाकार को अपनी हरेक रचना बेहद प्रिय होती है। रचनाओं के चयन के बाद उन्हें वर्गीकृत किया फिर प्रकाशन हेतु पांडुलिपि के रूप में भेजा गया। प्राची डिजिटल प्रकाशन,मेरठ की से उसे पुस्तक के रूप में तैयार किया गया। सर्वप्रथम कवर पेज तैयार हुआ। कई संशोधनों के साथ कवर पेज का डिज़ाइन फ़ाइनल हुआ। अनुक्रम के साथ विभिन्न खंडों में रचनाओं को समायोजित किया गया। इसके बाद चार राउंड की अति गहन प्रूफ़ रीडिंग का दौर चला। अंत में पूरी पुस्तक ई-बुक के रूप में मुझे भेजी गई। ई-पुस्तक को देखने और पढ़ने के बाद मेरी संतुष्टि के आधार पर आगे पुस्तक प्रिंटिंग का कार्य आरंभ हुआ। छपने के बाद चाही गई संख्या में पुस्तकें कुरियर द्वारा मुझे प्राप्त हुईं। पुस्तक प्रकाशन की प्रक्रिया में लेखक/लेखिकाओं को संयम से गुज़रना होता है। प्राची डिजिटल प्रकाशन, मेरठ ने मेरी पुस्तक के प्रकाशन में भरपूर सहयोग दिया इसके लिए उन्हें मेरा तह-ए-दिल से शुक्रिया। पुस्तक प्रकाशन में प्रकाशक राजेंद्र सिंह बिष्ट जी ने इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कराया एवं रवीन्द्र सिंह यादव जी ने पुस्तक के संपादन एवं प्रूफ़ रीडिंग में विशेष योगदान दिया जिसके लिए मैं आभारी हूँ।

Buuks2Read – अनीता जी, आप किस विधा में सबसे ज़्यादा लेखन करतीं हैं? और क्या इस विधा में लिखना आसान है?
अनीता सैनी – मूलतः मेरा लेखन काव्य विधा में है। इसके साथ-साथ मेरा लेखन कहानी,लघुकथा, कांकी, लेख, संस्मरण, हाइकु आदि में भी निरंतर जारी है। मेरा मानना है कि कविता एक ऐसी विधा है जो व्यक्ति के मन-मस्तिष्क और ह्रदय पर शीघ्र असर करती है। रही बात कि क्या इस विधा में लिखना आसान है तो इसका उत्तर है कि लेखन एक जवाबदेही से भरा जटिल विषय है जिसमें हम जितना गहराई में उतरते जाते हैं यह उतना ही आसान होता जाता है। अतः यह कार्य आसान दिखता है किंतु आसान होता नहीं है।

Buuks2Read – आप कैसे अपनी रचनाओं के लिए समय मैनेज करतीं हैं और किसी भी रचना के लिए विषयवस्तु के लिए कैसे विचार बनाते है?
अनीता सैनी – सृजन के लिए मैं किसी विशेष अवसर की तलाश नहीं करती। सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय घर, सड़क, बाज़ार, कार्यस्थल से लेकर रिश्तों तक बिखरे पड़े हैं अतः जब जो विचार उमड़ने-घुमड़ने लगता है तो उस पर चिंतन करते हुए लिपिबद्ध कर दिया जाता है। व्यस्तता के वक़्त विचार नोट कर लिया जाता है जिसे बाद में विकसित कर दिया जाता है। कविता वही प्रभावशाली बनती है जो हमारे भीतर से विस्फोट करती हुई बाहर निकले।

Buuks2Read – अनीता जी, आपके जीवन में ऐसी ख़ास उपलब्धि, जिसे आप हमारे और अपने पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहें?
अनीता सैनी – स्वयं को ज़माने से संघर्ष करने के लिए सक्षम बनाना सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस संबंध में अपने अतीत जीवन की एक घटना का ज़िक्र करना चाहूँगी- मेरे विवाहोपरांत एक घटना ने मुझे गंभीर चिंतन के लिए विवश किया। मेरे ज़िले में एक महिला का पति सेना में था जिसकी शादी हुए पंद्रह दिन ही हुए थे कि ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश आ गया लेकिन वक़्त ने ऐसा घोर सितम ढाया कि तीन दिन बाद ही उस सैनिक की अर्थी गाँव आ गई। बाद में मैंने उस अभागी स्त्री के कठिन संघर्ष की मर्मांतक पीड़ा से सराबोर कहानी सुनी जिसे पग-पग पर समाज के ताने और अपनों की उपेक्षा सहनी पड़ी। तब मैंने महसूस किया कि स्त्रियों के समक्ष ऐसी चुनौतियों का मुक़ाबला करने की पर्याप्त क्षमता होनी चाहिए अतः मैंने शिक्षा को महत्त्व देते हुए ख़ुद के पैरों पर खड़ा होना अपना स्वाभिमान समझा साथ ही अन्य स्त्रियों को भी शिक्षा की ओर प्रेरित किया।

Buuks2Read – हर लेखक का अपना कोई आइडियल होता है, क्या आपका भी कोई आइडियल लेखक या लेखिका है? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगीं?
अनीता सैनी – मेरे स्वर्गीय दादा जी श्री गीगराज साँखला (जो जाने-माने पशु चिकित्सक थे) वो आज भी मेरे आदर्श हैं क्योंकि उन्होंने ही मुझे ऐसे संस्कार दिए जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनके द्वारा रोपे गए सामाजिक मूल्य मेरे जीवन की धरोहर हैं। प्रकृति और पशु-पक्षियों से उन्हें विशेष लगाव था जिसका प्रभाव मेरे जीवन पर भी है। इसलिए मेरे दादा जी का कृतित्त्व और व्यक्तित्त्व आज भी मेरे लिये आदर्श बना हुआ है। वक़्त के साथ मूल्य बदलते रहते हैं जिन्हें नए सिरे से पुनर्स्थापित किया जाना एक सतत प्रक्रिया है। समय के साथ आए बदलावों में भी दादा जी द्वारा रोपे गए संस्कार मुझे आज भी ऊर्जावान बनाए रखते हैं। मैं अज्ञेय जी, अशोक बाजपेयी जी, अशोक चक्रधर जी, बाबा नागार्जुन जी, मुंशी प्रेमचंद जी एवं रवीन्द्र नाथ टैगोर जी का साहित्य अधिक पढ़ती हूँ। मेरी पसंदीदा पुस्तकें हैं- महाभारत, गीता, गीतांजलि, मान-सरोवर, तमस, गोदान आदि।

Buuks2Read – हिंदी-भाषा और हिंदी-साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगीं?
अनीता सैनी – हिंदी-भाषा अब दुनियाभर में पढ़ी और पढ़ाई जा रही है अतः हिंदी का लेखक या लेखिका होना गर्व की बात है। साहित्य के प्रति नई पीढ़ी का ध्यान न उचटने पाए अतः साहित्यकारों की यह बड़ी जवाबदारी है कि वे वक़्त का सच लिखते हुए सृजन को मूल्यों से परे न जाने दें। आजकल हिंदी-साहित्य में सृजन तो पर्याप्त नज़र आता है किंतु आलोचना का दायरा एकदम सिकुड़ गया है जिससे सृजन के दिशाहीन होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

Buuks2Read – शिक्षण-कार्य और साहित्य-सृजन के अलावा आपके अन्य शौक़ या कहें कि टाइम पास वाले क्या काम हैं जिन्हें आप ख़ाली समय में करना पसंद करतीं हैं?
अनीता सैनी – सरल किंतु जटिल प्रश्न है। मैं एक कामकाजी महिला होने के साथ कुशल गृहणी भी हूँ अतः परिवार के साथ समय व्यतीत करना, अध्ययन, चित्रकारी, फोटोग्राफी, गृहसज्जा, पाककला, बाग़वानी, कर्णप्रिय संगीत सुनना, दूसरों की सहायता करना आदि मेरे अन्य शौक हैं।

Buuks2Read – अभी आपकी पहली पुस्तक प्रकाशित हुई है तो यह प्रश्न आपके लिए बेमानी ही होगा लेकिन हम अपने सर्वे के लिए पूछना चाहेंगे कि वर्तमान प्रकाशक के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?
अनीता सैनी – बड़ा जटिल प्रश्न है। कई साहित्यकारों के पुस्तक प्रकाशन की प्रक्रिया में प्रकाशक के साथ अनुभवों को जानकर किसी के भी मन में आशंकाएँ उत्पन्न हो सकतीं हैं। मेरा अनुभव इस मामले में बड़ा सुखद रहा है। मेरी पुस्तक के प्रकाशक ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन, मेरठ’ की ओर से पूरा सहयोग किया गया। समय पर प्रकाशन कार्य संपन्न हुआ। पुस्तक का मूल्य तय करने से लेकर मार्केटिंग के विभिन्न चरणों तक प्रकाशक महोदय का सकारात्मक एवं सहयोगी रबैया निस्संदेह सराहनीय है।

Buuks2Read – अनीता जी, क्या आप अपने अज़ीज़ शुभचिंतकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए कुछ कहना चाहेंगीं?
अनीता सैनी – सभी से आग्रह है कि वे अच्छा साहित्य पढ़ें और उसमें जीवन के लिए कुछ उपयोगी हो तो अवश्य अपनाएँ, साथ ही अच्छे साहित्य की चर्चा दूसरों तक भी पहुँचाएँ। मैं अपने लेखन में जिन मानदंडों को साथ लेकर चल रही हूँ, जिसकी मुझे प्रशंसा मिलती है तो मेरा फ़र्ज़ है कि मैं उन अपेक्षाओं पर हमेशा खरी उतरूँ।

Buuks2Read – अनीता जी, क्या आप भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित कराने की योजना बना रहीं हैं? यदि हाँ, तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
अनीता सैनी – हाँ,अगली पुस्तक की तैयारी चल रही है जो लघुकथा-संग्रह के रूप में सामने आएगी।

Buuks2Read – साहित्य की दुनिया में नए-नए लेखक आ रहे हैं, इनके लिए आप क्या सलाह देंगीं?
अनीता सैनी – नवोदित लेखक/लेखिकाओं को मेरी सलाह है कि लेखन से जुड़े अनेक पूर्वाग्रहों से विमुक्त होकर अपने भावों को लिपिबद्ध कीजिए, प्रकाशित कीजिए; त्रुटियों की आशंकाओं को परे रखकर आगे बढ़िए। जब आपके सृजन में साहित्य की ख़ुशबू महकेगी तो वरिष्ठ साहित्यकारों का मार्गदर्शन भी मिलेगा और उसे पुरस्कृत भी किया जाएगा। दूसरों के भाव, विचार एवं शैली अवश्य पढ़ें ताकि आप स्वयं को बेहतर ढंग से पेश कर सकें।

Buuks2Read – क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगी?
अनीता सैनी – इसका मैं सिर्फ़ संक्षिप्त उत्तर देना चाहूँगी कि जब इस दिशा में पहला क़दम रख ही दिया है तो आगे ही बढ़ने का फ़ैसला है मेरा।

About the Book

काव्य संग्रह 'एहसास के गुँचे' की लेखिका अनीता सैनी जी से साक्षात्कार

जीवन मूल्यों के सतत आरोह-अवरोह, दोहरे मापदंड, समय की विद्रूपताएँ, प्रकृति के प्रति उदासीनता और समाज की दिखावटी सोच ने मेरे भीतर पनपती कविता को शब्दों का ताना-बाना बुनने के लिये भावभूमि तैयार की। कविता में लोक-संस्कृति, आँचलिकता के सांस्कृतिक आयाम, समसामयिक घटनाएँ, पर्यावरण के समक्ष उत्पन्न ख़तरे, जीवन-दर्शन, सौंदर्यबोध के साथ भावबोध, वैचारिक विमर्श को केन्द्र में रखते हुए संवेदना को समाहित कर कविता बनीं। जिसके फलस्वरूप मेरा पहला काव्य-संग्रह ‘एहसास के गुँचे’ सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ प्रेम, जीवन-दर्शन, नारी-विमर्श, देशप्रेम और प्रकृति पर मेरे चिंतन के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है। आशा है संग्रह की कविताएं आपके मर्म को छूने का प्रयास करेगी। ‘एहसास के गुंचे’ काव्य-संग्रह आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है।

काव्य संग्रह 'एहसास के गुँचे' की लेखिका अनीता सैनी जी से साक्षात्कार

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दिलबागसिंह विर्क
दिलबागसिंह विर्क
July 22, 2020 7:47 PM

बहुत खूब, हार्दिक बधाई अनीता जी

Meena Bhardwaj
Meena Bhardwaj
July 23, 2020 12:53 AM

बहुत अच्छा साक्षात्कार .आप निरन्तर लोकप्रियता के आयाम स्थापित करती रहेंं । बहुत बहुत बधाई .

Sudha Devrani
Sudha Devrani
July 23, 2020 6:54 AM

बहुत सुन्दर साक्षात्कार एवं उत्तम विचार
ढ़ेर सारी शुभकामनाएं अनीता जी!

Ravindra Singh Yadav
Ravindra Singh Yadav
July 23, 2020 8:06 AM

बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ अनीता जी. शानदार एवं प्रभावशाली साक्षात्कार. आपकी लेखनी नित नए आयाम स्थापित करती रहे और रसज्ञ पाठक रसविभोर होते रहें.
अक्षय गौरव पत्रिका और मेरे नाम का ज़िक्र साक्षात्कार में करने हेतु बहुत-बहुत आभार.

Jyoti
Jyoti
July 23, 2020 2:31 PM

बहुत बहुत बधाई, अनिता दी। आप इसी तरह आगे बढ़ती रहे यहीं शुभकामनाएं।

विकास नैनवाल
विकास नैनवाल
July 23, 2020 7:29 PM

सुंदर साक्षात्कार। हार्दिक बधाई,मैम

Neeti
Neeti
July 23, 2020 9:00 PM

Aapko bahut bahut shubhkamnaen 🎊🎉

Kusum Kothari
Kusum Kothari
July 25, 2020 2:32 PM

एक शानदार साहित्यकारा का सुंदर साक्षात्कार ,
अनिता जी एक बहुत सुलझी हुई सार्थक लेखन से जुड़ी सौम्य शख्सियत हैं, उनका नाम ब्लाग जगत में एक प्रतिष्ठित लेखिका के रूप में किसी भी परिचय का मोहताज नहीं पर उन्हीं के शब्दों में उन को जानना एक लाजवाब प्रक्रिया रही ।
उन का लेखन उत्कृष्ट ,समाज को दिशा देने वाला, सामायिक विषयों पर चिंतन परक और जमीन से जुड़ा होता है।
इस शानदार सुलझे हुए सहज गति से आगे बढ़ते साक्षात्कार के लिए बधाई एवं साधुवाद।
साथ ही उनके प्रथम एकल संकलन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और अशेष बधाइयां।

Sweta sinha
Sweta sinha
July 27, 2020 10:17 AM

प्रिय अनु,
सर्वप्रथम तुम्हारे प्रथम काव्य संग्रह की खूब सारी बधाई।
तुम्हारी रचनाएँ पाठकों के मन पर अपनी छाप छोड़ पाने में सक्षम है।
विस्तृत समीक्षा में तुम्हारे व्यक्तित्व और कृतित्व के विभिन्न पहलुओं को जानना बहुत अच्छा लगा।
तुम्हारे विचारों की गहनता तुम्हारी लेखनी को अलग पहचान देती है। अपनी मौलिक कृतियों द्वारा आने वाली पीढियों के लिए अनमोल धरोहर संजोती तुम्हारी विशेष कृतियाँ स्वयं अपना परिचय देंगी।
जितनी बार भी यह साक्षात्कार पढ़ा हर बार एक और पढ़ लूँ की इच्छा बनी रही।
तुम्हारी लेखन यात्रा का हर मोड़ सुखद और सुवासित हो यही कामना करती हूँ। मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं एवं आशीष है अनु।
सदा खुश रहो और खूब यशस्वी हो।

जितेन्द्र माथुर
जितेन्द्र माथुर
March 11, 2021 10:27 AM

साक्षात्कार को पढ़कर आपके व्यक्तित्व के विविध पहलुओं से परिचित होने का अवसर मिला । आपके लेखकीय जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।