पिछले दिनों Buuks2Read टीम ने बिहार, पूर्णिया से युवा साहित्यकार सौरभ स्नेही जी से एक साक्षात्कार किया है। सौरभ स्नेही जी पहली पुस्तक ‘कंधे पर गंगा मैया‘ है और इसके साथ ही सौरभ जी कई साझा संकलनाें में सहभागिता भी कर चुकें है, जिसका सिलसिला जारी है। Buuks2Read के साथ साक्षात्कार के दौरान लेखक ने अपनी साहित्यिक यात्रा को हमारे साथ शेयर किया। आशा करते हैं कि पाठकों को सौरभ स्नेही जी के साथ किया गया साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
Buuks2Read : कृपया संक्षेप में अपने शब्दों में अपना परिचय दें?
Saurabh Snehi : मेरा नाम सौरभ स्नेही है। मुझे कहानी, कविता, नाटक और उपन्यास आदि विधाओं में लिखना पसंद है। वर्तमान में नगर परिषद बनमनखी पूर्णिया बिहार में निवासरत हूँ।
Buuks2Read : क्या आप अपनी प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बताना चाहेंगे?
Saurabh Snehi : मेरी पुस्तक है ‘कंधे पर गंगा मैया’ जो देवघर यात्रा वृतांत है। ये धार्मिक यात्रा महर्षि मेंही और भक्त प्रल्हाद की जन्मभूमि, पूर्णिया जिला के बनमनखी से निकलकर गंगा की धारा के समान बढते हुए भगवान शिव से मिलने झारखंड के देवघर जा रही है, जिसमें मैं भी साक्षी हूँ और स्वयं माँ गंगा भी है। कुछ आगे चलकर गंगा मैया इन यात्रियों के काँवर के दोनों ओर रखे पात्र में सवार हो जाती है। यहाँ पवित्रता और प्रेम है, आंचलिक मिट्टी से आ रही सोंधी महक है, ढोल, झाल और मृदंग की ताल पर गुनगुनाते गीत है, चिड़िया-चुनमुन, मेंढक और झिंगुर का संगीत भी है, नुकीले कंकड़ भी है, कांटे भी है, जख्म भी है, दर्द भी है, आंशु और आंचल भी है, मरहम भी है, हवा में फूल और चंदन की खुशबू है, घुंघरू की मीठी आवाजें भी है, यहाँ अनेकता में एकता है, मेला है, पेड़े की मिठास है, मंदिर भी है, इतिहास भी है, नदी और ऊँचे पहाड़ भी है, यहाँ शिव है इसलिए यह यात्रा बहुत ही सुंदर है और इसमें केवल आनन्द ही आनन्द है।… यह यात्रा बासुकीनाथ धाम से लौटते वक्त समाप्त होती है।
Buuks2Read : पुस्तक प्रकाशन के लिए विचार कैसे बना या कैसे प्रेरित हुए?
Saurabh Snehi : मुझे लिखने का शौक बचपन से था। प्रकृति से काफी प्रेम है। जब मैं देवघर पैदल कांवर उठा कर गया तो रास्ते में आने वाले मनमोहक दृश्य, चिड़ियों की आवाज, नदी, पहाड़, प्रकृति को करीब से देखा और इसे आंचलिक रूप में लिखने का विचार था। प्रकृति के रंग-रूप गीत-संगीत कई तरह की आवाज, सभी को मैंने एक यात्रा वृतांत में लिखा है। जब पूरे देश में लॉकडाउन लग चुका था, उस समय पुस्तक प्रकाशन के लिए विचार आया और अब आप लोगों के बीच प्रकाशित होकर आई ‘कंधे पर गंगा मैया।’
Buuks2Read : किसी भी लेखक या लेखिका के लिए पहली प्रकाशित पुस्तक बहुत ही मायने रखती है और उसके प्रकाशन का अनुभव बहुत खास होता है। क्या आप प्रथम प्रकाशन के उस अनुभव को हमारे पाठकों के बीच साझा करेंगे?
Saurabh Snehi : शुरु-शुरु में काफी कठिनाई हुई। डर लगता था कि हम अगर किसी को छपने के लिए भेजेंगे तो हमारी लिखी हुई रचना को चुरा लेगा। हिम्मत से काम लेते गए और कारवां बनता चला गया।
Buuks2Read : आप साहित्य सृजन कब से कर रहें हैं, अब तक अर्जित उपलब्धियों की जानकारी देना चाहेंगे?
Saurabh Snehi : मैं साहित्य सृजन 2016 से कर रहा हूँ। पिछले दिनों ही एक देवघर यात्रा वृतांत की किताब ‘कंधे पर गंगा मैया’ प्रकाशित हुई है और चार साझा संकलन प्रेरणा, हिंद गाथा, पलाश और मेरा गांव में रचनाएं प्रकाशित हो चुकीं हैं। जिसके लिए हमें कई सम्मान पत्र भी मिले हैं।
Buuks2Read : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं?
Saurabh Snehi : आगे बहुत सी किताब लिखनी है, जो आजीवन चलता रहेगा।
Buuks2Read : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगें?
Saurabh Snehi : मेरे आदर्श अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु जी है और पसंदीदा किताब है ‘मैला आंचल’।
Buuks2Read : लेखन के अलावा आपके अन्य शौक क्या हैं, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Saurabh Snehi : हमें गीत गाना बहुत पसंद है, खाली समय में गुनगुनाते रहते हैं।
Buuks2Read : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?
Saurabh Snehi : एक बार मैं फिल्म अभिनेता राजपाल यादव को अपनी लिखी किताब कंधे पर गंगा मैया सप्रेम भेंट करने गया था। जगह थी पारस होटल पूर्णिया। उनके कमरे में जाने की इजाजत किसी को नहीं थी। हमने किसी तरह जाकर उनके कमरे का बेल बजा दिया। राजपाल सर गुस्से में निकले और हमे मिलने से साफ मना कर दिये। हमने उनसे कहा कि सर हमें किताब भेंट करनी है फिर भी वह नहीं माने दरवाजा बंद कर दिये। हम निराश होकर नीचे चले गए। मेरे मन में कई तरह के सवाल आ रहे थे। एक घंटा बाद चमत्कार हुआ। होटल के रिसेप्शन काउंटर पर राजपाल सर का कॉल आया और साहित्य का सम्मान किया। हमें ऊपर कमरे में बुलाये। जब हम कमरे में पहुंचे तो वह हमें गले से लगाए। बहुत सारी बातें की, ऐसा लगा कि वह मेरे दोस्त है, बहुत दिनों से एक दूसरे को जानते हैं, उन्होने मेरी पुस्तक को स्वीकार किया। हमें सीख मिली आदमी कितना भी बड़ा हो जाये पर उन्हें अपने से छोटे का हमेशा सम्मान करना चाहिए। राजपाल सर का बहुत प्यार और आशीर्वाद हमें मिला और उनका चेहरा सूर्य के समान चमक रहा था।
Buuks2Read : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Saurabh Snehi : हिंदी भाषा हमारी मातृभाषा है इसलिए हम अनुरोध करेंगें कि लोग ज्यादा से ज्यादा हिन्दी में बात करें और हिन्दी बोलने व लिखने वाले को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस भाषा को आगे बढ़ाना चाहिए।
Buuks2Read : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Saurabh Snehi : मेहनत ही सफलता दिलाती है। मेहनत करे ईमानदारी से सफलता आपके कदम चूमेगी।
सौरभ स्नेही की पुस्तक अमेजन से प्राप्त की जा सकती हैं-
Visit for know more about the book – Kandhe Par Ganga Maiya
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