लेखकों में यह आम धारणा है कि लेखक को पुस्तक की MRP पर 100% Royalty मिलना चाहिए, लेकिन अधिकांश लेखकों की धारणा के अनुसार Royalty इस प्रकार होती है; 100% Royalty = पुस्तक की MRP, अर्थात, यदि पुस्तक का अधिकतम बिक्री मूल्य (MRP) 100 रूपये है तो लेखक को 100% Royalty के रूप में 100 रूपये ही मिलने चाहिए। जबकि Royalty की यह धारणा बिल्कुल काल्पनिक है। आपकी जिज्ञासा का समाधान करते हुए बता दें कि दुनिया का कोई भी प्रकाशक आपको इस काल्पनिक धारणा के अनुसार 100% Royalty नहीं दे सकता है। अब तक हमारा अनुभव रहा है कि अधिकांश लेखक आज तक इस काल्पनिक धारणा को सत्य मानते हैं और ऐसे प्रकाशक की तलाश में रहते हैं, जो उन्हें उनकी काल्पनिक धारणा के अनुसार 100% Royalty का भुगतान करे। ऐसे प्रकाशक उन्हें नहीं मिल पाते हैं, जिस कारण उनकी पुस्तक अप्रकाशित ही रह जाती है।
100% रॉयल्टी को लेकर भ्रम
आमतौर पर नये लेखकों के साथ वरिष्ठ लेखक भी भ्रम में रहते हैं कि कुछ प्रकाशक 100% Royalty दे रहे हैं, तो कई प्रकाशक 50% या 70% तक Royalty देते हैं और वहीं कुछ प्रकाशक MRP पर सिर्फ 10% Royalty दे रहे हैं। जबकि लेखक यह जानने का प्रयास नहीं करते हैं कि प्रकाशक उन्हें Royalty का भुगतान MRP पर दे रहा है या कुल लाभ (Net Profit) पर दे रहा है, अर्थात प्रकाशक द्वारा लेखक को MRP पर 100% या 70% या 50% Royalty दिया जा रहा है या प्रत्येक किताब की बिक्री से प्राप्त Net Profit पर दिया जा रहा है।
रॉयल्टी कैसे निर्धारित होती है
आईए, आपको समझाते हैं कि 100% Royalty को कैसे निर्धारित किया जाता है। पुस्तक की MRP से पुस्तक की Print Cost से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक का खर्च निकालकर जो राशि शेष बचती है, उसे 100% Net Profit या 100% Royalty कहा जाता है। अर्थात, 100% Royalty = पुस्तक की MRP – (पुस्तक की Printing Cost + डिस्ट्रीब्यूशन चार्जेस + ईकॉमर्स स्टोर की ब्रांडेड पैकेजिंग Cost + टैक्स + ईकामर्स कंपनी की सेलिंग फीस + अतिरिक्त स्थानीय एवं रखरखाव खर्च)। इस तरह से किसी भी सेल्फ पब्लिशर द्वारा बेची गई किसी भी किताब की MRP से उपरोक्त सभी खर्च को घटाकर जो शेष बचता है, उसे 100% Net Profit या Royalty कहा जाता है। यह शेष Profit या Royalty लेखक को 100% Royalty के रूप में दी जाती है। अब आप समझ ही गए होंगें कि आपका प्रकाशक आपको 100% या 70% या 50% Royalty किस तरह से दे रहा है, Net Profit या MRP पर Fixed Royalty दे रहा है।
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यदि आप MRP पर Fixed Royalty को चुनते हैं तो यह भी आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है, क्योंकि पुस्तक प्रकाशन से संबंधित संसाधनों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण 100% Royalty में आपकी Royalty कम या ज्यादा हो सकती है, जबकि Fixed Royalty में आपको हमेशा सुनिश्चित Royalty प्राप्त होगी। पुस्तक प्रकाशन से संबंधित संसाधन अर्थात पेपर का रेट, सेलिंग फीस, पैकेजिंग मैटिरियल सहित अन्य छोटे-छोटे खर्चे जो कि समय के साथ बढ़ सकते हैं या कम हो सकते हैं। वैसे यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले 4-5 वर्षों में पुस्तकों में इस्तेमाल होने वाले पेपर की कीमत, पैकेजिंग मैटिरियल की कीमत एवं कोरियर चार्जेस लगातार बढ़े हैं। उदाहण के तौर पर आप एक कॉपीयर पेपर को ही देख लिजिए, जो आज से 6 वर्ष पूर्व मात्र 130 रूपये में मिल जाया करता था, जो कि अब 250 रूपये का मिलता है। यही कारण है कि पिछले 4-5 सालों में किताब प्रकाशन की कॉस्ट में काफी बढ़ोत्तरी हुई है, जिस कारण 100% Royalty में अब तक सभी प्रकाशकों ने काफी बदलाव किए हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुछ प्रकाशकों द्वारा Royalty का भुगतान Royalty से Tax काटकर किया जाता है। वहीं, कुछ प्रकाशक Royalty को Withdrawal करने के लिए चार्जेस भी लगाते हैं। ऐसे ही कई Hidden Charges के कारण लेखक की 100% Royalty कम होती चली जाती है। अर्थात आप मान सकते हैं कि 100% Royalty में कुछ भी Fixed नहीं होता है, जबकि MRP पर सुनिश्चित Royalty लेखक को प्रकाशक द्वारा Fixed रॉयल्टी प्रदान की जाती है, क्योंकि यहाँ पर कोई उतार-चढ़ाव या कोई Tax लेखक की रॉयल्टी पर नहीं लगाया जाता है।
वहीं, अक्सर लेखकों की शिकायत रहती हैं कि हमारा प्रकाशक समय पर Royalty नहीं दे रहा है या Royalty कम दे रहा है या पुस्तक की Sales Report नहीं भेज रहा है। ऐसे स्थिति का सामना करने वाले लेखक को किताब प्रकाशित कराने से पूर्व पब्लिशिंग अनुबंध जरूर पढ़ लेना चाहिए। साथ ही प्रकाशक से कहें कि Royalty भुगतान की समय सीमा एवं Royalty साफ-साफ अंकों व शब्दों में अवश्य अंकित करे, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि बिजनेस कोई भी हो या कोई प्रकाशन हाउस, वह पारदर्शिता और बेहतर सेवाओं से ही सफल होता है। न कि खराब सेवाओं और अपारदर्शिता से, बल्कि लापरवाही और अपने ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरा न उतरने पर अक्सर प्रकाशन हाउस बंद हो जाता है।
अधिक रॉयल्टी प्राप्त करने के लिए सुझाव
यह आलेख पढ़ने के बाद भी आपको पुस्तक के बिक्री मूल्य का 100% Royalty के रूप में मिलना चाहिए, तो ऐसी स्थिति में लेखकों को हम सिर्फ एक सलाह दे सकते हैं कि आप अपनी किताब को स्थानीय (Local) DTP Operator से डिजाइन कराएं, उसके बाद स्थानीय (Local) प्रिन्टर से प्रिन्ट कराएं और अपने स्तर से किताब को बेचिए। अपने स्तर से किताब को बेचने पर MRP पर 100% आपको Royalty के रूप में आपको ही मिलेगा। बात भी सही है, आपके द्वारा प्रिन्ट कराकर स्वयं बेचने पर बीच में कोई बिचौलिया नहीं होगा, आपका सारा लाभ आपको ही प्राप्त हो जाएगा।
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बता दें कि Prachi Digital Publication की यूनिट Taneesha Publishers द्वारा लेखकों को MRP पर 10% Fixed Royalty दी जाती है, क्योंकि Taneesha Publishers द्वारा भारत में सबसे सस्ती सेल्फ पब्लिशिंग योजनाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। सबसे सस्ती सेवाएं उपलब्ध कराने के बाद भी अक्सर लेखक कहते हैं कि इतना बड़ा (90%) लाभ तो आप अकेले ही ले जा रहें हैं, हमें तो आप सिर्फ 10% ही दे रहें है। ऐसे लेखकों को भी अपनी किताबें स्थानीय प्रिन्टिग प्रेस से प्रिन्ट कराकर स्वयं ही बेचनी चाहिए, ताकि वे 100% लाभ स्वयं ले सकें। फिर इतना ही नहीं, लेखक यह भी समझने को तैयार नहीं होते हैं कि पुस्तक की प्रिन्टिग कॉस्ट, अमेजन व फ्लिपकार्ट की सेलिंग फीस, डिस्ट्रीब्यूशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन सहयोगी पार्टनर का शेयर भी देने के अलावा अमेजन या फ्लिपकार्ट की ब्रांडेड पैकेजिंग मैटिरियल भी अपने खर्च पर खरीदना होता है। इन सब खर्चों को ध्यान में रखते हुए अक्सर हम अपने भावी लेखकों की उम्मीद पर खरा न उतरते हुए साफ-साफ मना करते हुए कह देते हैं कि हम आपकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाएंगें।
अंत में आपको यह भी जरूर जान लेना चाहिए कि यदि प्रकाशक द्वारा लेखक की काल्पनिक धारणा के अनुसार 100% Royalty दी जाने लगे तो प्रकाशन उद्योग ही बंद होने के कगार पर आ जाएगा और कई प्रकाशन हाउस अपना दम तोड़ देंगें। जिससे कई हजारों की संख्या में रोजगार समाप्त हो जाएंगें, जो कि इन प्रकाशन हाउसों द्वारा उपलब्ध कराएं जा रहे हैं।
लेखक – राजेन्द्र सिंह बिष्ट (लेखक प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और इससे पूर्व लगभग दस वर्ष तक पत्रकारिता में रह चुकें है।)
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