कॉपीराइट क्या है? कॉपीराइट अधिनियम और कॉपीराइट के महत्व को विस्तार से जानें

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What is copyright and importance of copyright in detail Updated

अक्सर देखने में आता है कि अधिकांश लेखक अपनी साहित्यिक कृति का कॉपीराइट पंजीकरण कराने को लेकर गंभीर नहीं रहते है, क्योंकि उन्हें कॉपीराइट अधिनियम की पूर्ण जानकारी नहीं होती है। कई बार लेखक इस भ्रम या गलतफहमी में रहते हैं कि यदि उनकी साहित्यिक कृति या रचनाएं किताब के रूप में ISBN के साथ प्रकाशित हो जाती है तो उनकी साहित्यिक कृति या रचना स्वत: ही कॉपीराइट हो जाती है, अर्थात ISBN के साथ प्रकाशित पुस्तक का कोई भी व्यक्ति या अव्यवसायिक या व्यवसायिक संस्थान दुरूपयोग नहीं कर सकता है, जो कि गलत जानकारी है।

यदि आप लेखक हैं तो आपको अपनी किताब का कॉपीराइट जरूर कराना चाहिए, क्योंकि कॉपीराइट आपके लेखन, समय और मेहनत की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। आजकल सोशल मीडिया पर किसी भी लेखक के कंटेंट को चुराकर अपने नाम से प्रकाशित कर दिया जाता है, कई बार बिना साभार के प्रकाशित कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि आपके पास कॉपीराइट प्रमाण पत्र है तो आप कंटेंट की चोरी पर मानहानि या कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं। आप अपने नुकसान की भरपाई के लिए कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं। अक्सर मैंने देखा है कि लेखक थोड़े से खर्च को बचाने के चक्कर में कॉपीराइट नहीं कराते हैं।

लेखक के नाम से ISBN के साथ किताब प्रकाशित हो जाना सिर्फ लेखक की साहित्यिक कृति का मौलिक रिकार्ड हो सकता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति या संस्थान आपकी साहित्यिक कृति या उसके किसी भी भाग का दुरूपयोग करता है तो ऐसी स्थिति में आपके पास उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए कोई वैध कानूनी पुख्ता साक्ष्य या आधार नहीं रहता है। जबकि कॉपीराइट अधिनियम आपकी साहित्यिक कृति को वैध कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ISBN किसी भी पुस्तक के लिए Identification Number होता है, जिसका उपयोग प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं, पुस्तकालयों, इंटरनेट खुदरा विक्रेताओं और अन्य आपूर्ति श्रृंखला या डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा ऑर्डर, लिस्टिंग, बिक्री रिकॉर्ड और स्टॉक नियंत्रण उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

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कॉपीराइट अधिनियम लेखकों (साहित्यिक कार्यों के रूप में बौद्धिक संपदा के निर्माता) के अधिकारों की रक्षा करता है। कॉपीराइट अधिनियम 1957 के अर्न्तगत लेखक की साहित्यिक कृति को कोई भी व्यक्ति, संस्था या अन्य व्यवसायिक संस्थान कॉपी या वितरण नहीं कर सकते है और न ही उस पर अपना अधिकार जता सकते हैं। अर्थात कॉपीराइट अधिनियम 1957 लेखक की साहित्यिक कृति को पूर्णतया: सुरक्षा प्रदान करता है। यहाँ तक कि कॉपीराइट अधिनियम के अर्न्तगत कोई भी व्यक्ति या अव्यवसायिक या व्यवसायिक संस्थान आपकी साहित्यिक कृति का नाम बदलकर या साहित्यिक कृति के कुछ भाग को आपकी लिखित अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकता है। इसके अलावा कॉपीराइट अधिकार अनुवाद पर भी लागू होते हैं अर्थात लेखक की अनुमति के बिना साहित्यिक कृति या उसके किसी भी भाग को अन्य भाषाओं में अनुवाद नहीं किया जा सकता है।

अक्सर यह भी देखने में आता है कि लेखक किताब के नाम को लेकर भी भ्रम में रहते हैं। जैसे कि यदि हमने अपनी किताब का कॉपीराइट पंजीकरण करा लिया है तो हमारी किताब का नाम भी पंजीकृत हो गया है, अर्थात हमारी किताब के नाम से अन्य लेखक किताब नहीं प्रकाशित कर सकते हैं। वहीं, कई बार पूर्व में प्रकाशित लेखक नये लेखकों को कहते हैं कि अपनी किताब का नाम बदल लें, अन्यथा हमारे प्रकाशक द्वारा आपको लीगल नोटिस भेज दिया जाएगा, जो कि पूर्णतया: गलत व्यवहार है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कभी भी किसी किताब के नाम का कॉपीराइट या पेटेंट या ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता है, बल्कि सिर्फ और सिर्फ किताब के अंदर प्रस्तुत साहित्यिक कृति (रचनाओं) का ही कॉपीराइट पंजीकरण होता है, अर्थात एक नाम की कई पुस्तकें हो सकती हैं, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि लेखक की साहित्यिक कृति (रचनाएं) विशिष्ट होनी चाहिए, जिसे कॉपीराइट कराया जाना है।

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कॉपीराइट अधिनियम 1957 के अनुसार किसी भी साहित्यिक कृति या उसके किसी भी भाग को केवल तभी कॉपी या वितरण किया जा सकता है, जब साहित्यिक कृति का मूल लेखक या कॉपीराइट धारक अनुमति देता है। जिससे साहित्यिक कृति के कॉपीराइट धारक को यह तय करने की क्षमता मिलती है कि अन्य लोग आपकी साहित्यिक कृति का उपयोग कैसे और कब कर सकते हैं। कॉपीराइट अधिनियम कॉपीराइट के स्वामी को उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ अदालत में कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है।

कॉपीराइट स्वामी के मूल अधिकार

कॉपीराइट का मतलब विशिष्ट साहित्यिक बौद्धिक संपदा की सुरक्षा का अधिकार है। कॉपीराइट स्वामी के पास अपनी साहित्यिक कृति (कार्य) के लिए निम्नलिखित विशिष्ट अधिकार होते हैं, जिनका विवरण निम्न प्रकार है-

  • साहित्यिक कृति के मूल लेखक या स्वामी के रूप में कानूनी रूप में पहचान
  • साहित्यिक कृति को प्रकाशित करने, नये संस्करण प्रकाशित करने का अधिकार
  • साहित्यिक कृति को अपने विवेकानुसार प्रसारित करने का अधिकार
  • सार्वजनिक रूप से साहित्यिक कृति को प्रस्तुत करने का अधिकार
  • फिल्म या म्यूजिक के लिए साहित्यिक कृति के अधिकार देना
  • साहित्यिक कृति को अन्य भाषा में अनुवाद के लिए अधिकार देना
  • साहित्यिक कृति के दुरूपयोग पर कानूनी कार्यवाही का अधिकार

यदि कोई भी व्यक्ति या संस्थान कॉपीराइट कार्यालय द्वारा पंजीकृत साहित्यिक कृति से संबंधित कॉपीराइट उल्लंघन करता है, तो आपके पास उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संस्थान के खिलाफ उल्लंघन का दावा करने का अधिकार है।

भारत में कॉपीराइट वैधता

सामान्य नियम यह है कि कॉपीराइट 60 साल तक रहता है। जबकि मौलिक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतमय और कलात्मक कृतियों के मामले में कॉपीराइट की अवधि लेखक के पूर्ण जीवनकाल और मृत्यु के 60 वर्ष तक लागू रहती है। 60 वर्ष की अवधि को लेखक की मृत्यु के बाद के वर्ष से गिना जाता है। उदाहरण के लिए यदि लेखक की मृत्यु वर्ष 2000 में हुई है, तो लेखक का कॉपीराइट 1 जनवरी 2061 तक सुरक्षित रहेगा, उसके बाद पब्लिक डोमेन में आ जाएगी।

कानूनी साक्ष्य

कॉपीराइट पंजीकरण करवाने का यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण लाभ है कि कॉपीराइट के साथ आपके साहित्यिक कार्य को कानूनी रूप से आपका ही मूल कार्य माना जाता है। यदि कोई साहित्यिक कार्य या सामग्री को चोरी या अवैध प्रकाशन कर कॉपीराइट का उल्लंघन करता है या कॉपी करने की कोशिश करता है, तो आप कॉपीराइट अधिनियम 1957 के अर्न्तगत कानूनी रूप से पंजीकृत कॉपीराइट के उल्लंघन का दावा पेश कर सकते हैं। वहीं, कॉपीराइट पंजीकरण के बिना, आपके लिए कॉपीराइट उल्लंघन के मुद्दे लड़ना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, पहले से पंजीकृत कॉपीराइट के साथ, कॉपीराइट उल्लंघन के मुद्दों पर आसानी से कानूनी कार्यवाही की जा सकती है और कानूनी तौर पर मुआवजे की मांग कर सकते हैं।

कॉपीराइट का उल्लंघन क्या है?

  • अक्सर कई वेबसाइटें पुस्तकों की पीडीएफ नि:शुल्क उपलब्ध कराती हैं। वहीं, कई बार वेबसाइट संचालक पुस्तक की एक प्रति खरीदकर उसकी फोटो स्कैन करने के बाद पीडीएफ बनाकर वेबसाइट पर अपलोड कर देते हैं। यदि वेबसाइट पर लेखक की अनुमति के बिना ही अपलोड किया गया है, यह कॉपीराइट का उल्लंघन है।
  • साहित्यिक कृति के किसी भी भाग को लेखक या मूल कॉपीराइट धारक की अनुमति के बिना ही सार्वजनिक वेबसाइट या सोशल मीडिया नेटवर्क या सोशल मीडिया ग्रुपों पर पोस्ट करना भी कॉपीराइट का उल्लंघन है।
  • लेखक की साहित्यिक कृति को लेखक या कॉपीराइट धारक की अनुमति के बिना फोटोकॉपी या स्कैनिंग (डिजिटल फॉर्म) करके नि:शुल्क या सशुल्क बांटना भी लेखक के अधिकारों का हनन है।
  • लेखक की साहित्यिक कृति के किसी भी भाग का कॉपी और पेस्ट कर अपने या अन्य किसी अन्य नाम से सोशल मीडिया या वेबपोर्टल या समाचार पत्र या पुस्तक में प्रकाशित करना भी कॉपीराइट का उल्लंघन है।

कॉपीराइट के उल्लंघन पर सजा

कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 63 के अंतर्गत कॉपीराइट के जानबूझकर उल्लंघन के लिए दुष्प्रेरणा को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इसके लिए दोषी को न्यूनतम 6 माह कारावास एवं पचास हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। अधिकतम सजा तीन वर्ष के कारावास और दो लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

कॉपीराइट का हस्तांतरण

यदि किसी साहित्यिक कृति को कॉपीराइट अधिनियम के अर्न्तगत कॉपीराइट कार्यालय में पंजीकृत किया जा चुका है और उसका विवरण कॉपीराइट कार्यालय के रजिस्टर में दर्ज किया जा चुका है, तो स्वामित्व के हस्तांतरण को कॉपीराइट कार्यालय द्वारा एक निर्धारित प्रपत्र में कॉपीराइट के रजिस्ट्रार को एक निर्धारित आवेदन में प्रस्तुत करना होता है। आवेदन प्राप्त होने के बाद कॉपीराइट कार्यालय द्वारा निर्धारित समय सीमा में कॉपीराइट रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। ध्यान दें कि स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए कॉपीराइट कार्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क को भी जमा करना होता है।

कॉपीराइट के लिए आवेदन कैसे करें

सर्वप्रथम आपको कॉपीराइट कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.copyright.gov.in पर जाकर रजिस्टेशन कर अपना खाता बनाना होगा। उसके बाद अपनी व्यक्तिगत जानकारी जमा करके अपनी कॉपीराइट आवेदन फार्म (Form-XIV) भरें। आवेदन जमा करने के बाद पंजीकरण राशि का ऑनलाइन भुगतान करें और अपने आवेदन फार्म का प्रिन्ट निकाल लें। आवेदन शुल्क जमा करने के बाद प्रकाशित पुस्तक के मामले में अपनी पुस्तक की पीडीएफ कवर सहित एवं प्रकाशक का अनापत्ति प्रमाण पत्र कॉपीराइट वेबसाइट पर अपलोड करें। सभी दस्तावेज अपलोड होने के बाद एक महीने का ऑब्जेक्शन समय होता है, यदि एक महीने के दौरान किसी भी व्यक्ति या संस्थान की ओर से ऑब्जेक्शन प्राप्त नहीं होता है तो कॉपीराइट कार्यालय परीक्षक के द्वारा आपके द्वारा किए गए आवेदन की जांच की जाती है और साहित्यिक कृति को पंजीकरण करने के लिए उप पंजीयक के पास भेज दिया जाता है।

अक्सर लेखक इस दुविधा में भी रहते हैं कि कॉपीराइट का पंजीकरण पुस्तक प्रकाशन से पूर्व कराएं या पुस्तक प्रकाशन के बाद कराएं। इस संबंध में हमारी सलाह यही रहेगी कि आपको अपनी साहित्यिक कृति का पंजीकरण पुस्तक प्रकाशन के बाद कराना चाहिए, क्योंकि पुस्तक प्रकाशन के बाद आपकी कृति को ISBN भी प्राप्त हो जाता है। वहीं, कॉपीराइट कार्यालय को प्रकाशित किताब की पीडीएफ कवर एवं ISBN सहित सबमिट करने से काॅपीराइट आवेदन की प्रस्तुति प्रभावशाली हो जाता है, साथ ही लेखक की मौलिक प्रकाशित कृति का पुख्ता रिकार्ड भी हो जाता है। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि पूरे विश्व में प्रत्येक पुस्तक का ISBN यूनिक होता है, अर्थात किन्ही दो किताबों के ISBN एक नहीं हो सकते हैं, जिससे आपकी साहित्यिक कृति की एक पहचान (Identification) भी हो जाती है।

कई बार कॉपीराइट आवेदन में कमी होने पर आवेदक को सूचित किया जाता है, फिर आवेदक को पुन: रिप्लाई के साथ सबमिट करना होता है। वहीं, यदि आपका आवेदन स्वीकार हो जाता हैं तो कॉपीराइट कार्यालय की ओर से आपको एक स्वीकृति पत्र भेजा जाएगा, अगर आवेदन स्वीकार नहीं किए जाते हैं तो फिर कार्यालय की ओर से अस्वीकृति पत्र आपको भेजा जाता है।

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अंत में लेखकों को पुन: यही सलाह देना चाहेंगें कि आपको अपनी साहित्यिक कृति का कॉपीराइट पंजीकरण जरूर कराना चाहिए। कॉपीराइट पंजीकरण का यह छोटा सा कार्य साहित्यिक कृति की सुरक्षा के साथ ही आपके लिए बहुत फायदेमंद है। अपने बौद्धिक विचारों को सुरक्षित रखने से लेकर अधिक आर्थिक लाभ कमाने तक, आप कॉपीराइट पंजीकरण से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपने अभी तक अपनी साहित्यिक कृति का कॉपीराइट पंजीकृत नहीं करवाया है, तो इसे तुरंत कराना चाहिए, ताकि आपका कार्य सुरक्षित हो सके।

कॉपीराइट आवेदन के पूरे प्रोसेस में आप प्रकाशक का सहयोग ले सकते हैं। यदि आप स्वयं आवेदन करते हैं तो कई बार प्रकाशक कॉपीराइट आवेदन में सहयोग नहीं करते हैं, क्योंकि आपके द्वारा स्वयं आवेदन करने पर उन्हें कोई आर्थिक लाभ (सेवा शुल्क के रूप में) प्राप्त नहीं होता है। जबकि हमारी सभी लेखकों को यही सलाह रहती है कि आप अपना आवेदन स्वयं करें और हमारा पूर्ण सहयोग प्राप्त करें, इसलिए ऐसी परिस्थिति में प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशन से जुड़े प्रत्येक लेखक को पूर्ण सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।

कॉपीराइट अधिनियम से संबंधित जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट सेक्सन में जरूर बताएं। यदि कोई अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेगी।

Written by Rajender Singh Bisht

(लेखक प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और इससे पूर्व लगभग दस वर्ष तक पत्रकारिता में रह चुकें है।)

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नन्द कुमार
नन्द कुमार
September 24, 2022 10:59 AM

अच्छी जानकारी

Satya pareek
Satya pareek
September 24, 2022 8:08 PM

बेहद महत्वपूर्ण जानकारी देने का धन्यवाद

अनुरोध कुमार श्रीवास्तव
अनुरोध कुमार श्रीवास्तव
September 24, 2022 10:48 PM

कापीराइट से जुडे समस्त पहलुओं पर आपका बहुत ही विश्वसनीय आलेख । आपकी सलाह से मैं आपके प्रकाशन “प्राची डिजिटल पब्लिकेशन”से प्रकाशित अपनी पुस्तक का स्वयं कापीराइट कराया था । मेरा एक पुस्तक पहले से प्रकाशित है जिसका कापीराइट करानें हेतु प्रकाशक नें कहा था,परन्तु कराया नहीं । अब वो सहयोग नहीं कर रहे एन.ओ.सी.देनें में आनाकानी कर रहे ,शायद प्रकाशन क्षेत्र ही छोड दिया । अब बतायें कापीराइट कैसे करायें ? सलाह दें ।